जिला ब्यूरो चीफ/ तोषन प्रसाद चौबे
पलारी क्षेत्र सहित पूरे छत्तीसगढ़ में पारंपरिक कृषि पर्व पोरा तिहार बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह पर्व किसान संस्कृति और पशुपालन की परंपरा से जुड़ा हुआ है। इस दिन बैल, नांदी बैला और कृषि कार्य में सहयोग करने वाले अन्य पशुओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
ग्रामीण अंचलों में लोगों ने चिला, रोटी, नारियल और विभिन्न पकवानों का भोग लगाकर पशुधन की पूजा की। महिलाएँ और ग्रामीणजन श्रद्धापूर्वक पूजा-पाठ कर परिवार और समाज में प्रसाद का वितरण करते हैं।
पलारी सहित कई गाँवों में पोला जांता (मिट्टी से बने बैल के प्रतीक) की पूजा कर उन्हें धान के खेतों में ले जाकर स्थापित किया गया। बच्चों और युवाओं ने उत्साहपूर्वक पारंपरिक खेलों व गीतों में भाग लिया।
इसी के साथ गांव-गांव में भोजली का आयोजन भी हुआ। युवतियों और महिलाओं ने भोजली गीत गाते हुए ग्राम भ्रमण किया और गांव के चौक-चौराहों पर सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना की। भोजली ने गांवों में आपसी मेल-जोल और सांस्कृतिक वातावरण को जीवंत कर दिया।
नगर पंचायत पलारी के 13 नंबर वार्ड में महिलाओं ने सुवा नृत्य प्रस्तुत किया। इसके साथ ही माताओं ने उत्साहपूर्वक मटका फोड़ और पोला पटके जैसे पारंपरिक आयोजनों में भाग लिया। इन कार्यक्रमों ने पूरे नगर में उत्सव का रंग बिखेर दिया।
कहा जाता है कि यह पर्व मानव और पशु के बीच पारस्परिक सहयोग और आत्मीय संबंध का प्रतीक है। किसान इस दिन अपने बैलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए आने वाले खेती-किसानी के मौसम में समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रौनक और उमंग देखने को मिली। हर घर और चौपाल में मिलन-जुलन का वातावरण रहा और पारंपरिक व्यंजन तथा भक्ति गीतों के बीच पूरे क्षेत्र में लोक संस्कृति की झलक दिखाई दी।
विडियो क्लिप लिंक –https://youtu.be/5unEIC63x2Q?si=ZR7UteBxuwtiTNkG