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बिलासपुर हाईकोर्ट: तीन वकीलों को मिला सीनियर एडवोकेट का दर्जा, अधिसूचना जारी

रिपोर्टर टेकराम कोसले

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बिलासपुर | 8 अगस्त 2025

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने प्रदेश की न्यायिक व्यवस्था में एक अहम कदम उठाते हुए तीन अनुभवी और प्रतिष्ठित वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया है। यह निर्णय 7 अगस्त 2025 को हुई फुल कोर्ट बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। अधिसूचना शुक्रवार को जारी की गई, जिसके बाद विधि जगत में इन नियुक्तियों की चर्चा तेज हो गई है।

अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 16 के अंतर्गत उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय को यह अधिकार प्राप्त है कि वे योग्य वकीलों को उनके अनुभव, विधिक ज्ञान, पेशेवर नैतिकता और योगदान के आधार पर सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित कर सकते हैं। इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट ने यह नियुक्तियां की हैं।

कौन हैं नए सीनियर एडवोकेट

1. अशोक कुमार वर्मा – लंबे समय से दीवानी एवं फौजदारी मामलों में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं।

2. मनोज विश्वनाथ परांजपे – संवैधानिक और वाणिज्यिक मामलों के प्रखर अधिवक्ता, कई हाई-प्रोफाइल मामलों में पैरवी कर चुके हैं।

3. सुनील ओटवानी – कर एवं सेवा मामलों में विशेषज्ञता, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाइयों का हिस्सा रहे हैं।

 

निर्णय के पीछे का कानूनी आधार

यह नामांकन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सीनियर एडवोकेट डेजिगनेशन रूल्स, 2018 के नियम 7 और सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया मामले में दिए गए ऐतिहासिक आदेश के अनुपालन में किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति की पारदर्शी और मूल्यांकन आधारित प्रक्रिया को अनिवार्य किया था।

सीनियर एडवोकेट की विशेष भूमिका और सीमाएं

सीनियर एडवोकेट का दर्जा केवल एक सम्मान नहीं है, बल्कि इसके साथ कई विशेष जिम्मेदारियां और सीमाएं भी जुड़ी होती हैं।

वे सीधे मुवक्किल से केस नहीं ले सकते।

केवल किसी अन्य वकील के माध्यम से ही मामलों की पैरवी कर सकते हैं।

उन्हें न्यायालय में एक विशिष्ट परिधान और आचरण संहिता का पालन करना होता है।

यह पद वकालत के क्षेत्र में सर्वोच्च पेशेवर सम्मान माना जाता है। आमतौर पर यह दर्जा उन वकीलों को दिया जाता है जिन्होंने वर्षों की मेहनत, ईमानदारी और उत्कृष्ट कानूनी तर्क क्षमता से न्यायिक व्यवस्था में योगदान दिया हो।

विधि जगत की प्रतिक्रिया

इन नियुक्तियों के बाद बिलासपुर और रायपुर के वकील समुदाय में खुशी का माहौल है। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इसे “विधिक प्रतिभा का सम्मान” बताते हुए कहा कि यह निर्णय युवा वकीलों के लिए प्रेरणा का कार्य करेगा।

निष्कर्ष

इन तीनों वकीलों का सीनियर एडवोकेट के रूप में नामांकन न केवल उनके व्यक्तिगत करियर की बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के विधिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण अध्याय भी जोड़ता है। अब वे उच्च न्यायालय में अपनी विशिष्ट भूमिका निभाते हुए न्याय व्यवस्था को और मजबूत बनाने में योगदान देंगे।

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