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लोकसभा में पेश हुआ संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री को गंभीर अपराध में फंसने पर 30 दिन के भीतर पद छोड़ना होगा

नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025 आज संसद के मानसून सत्र में गृहमंत्री अमित शाह ने एक ऐतिहासिक और बहुचर्चित विधेयक – संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 – लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, यदि प्रधानमंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या कोई मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में फंसते हैं, तो उन्हें 30 दिनों के भीतर अपने पद से इस्तीफा देना अनिवार्य होगा।

🔹 विधेयक की प्रमुख बातें

1. सख्त प्रावधान:

किसी भी गंभीर अपराध (जैसे हत्या, बलात्कार, आतंकवाद, भ्रष्टाचार के बड़े मामले, संगठित अपराध आदि) में नाम आने पर मंत्री/पीएम/सीएम को पद पर बने रहने की अनुमति सिर्फ 30 दिन तक होगी।

30 दिन के भीतर इस्तीफा न देने पर राष्ट्रपति/राज्यपाल स्वतः पद से हटा सकेंगे।

2. उद्देश्य:

राजनीति और शासन में नैतिक मूल्यों को मजबूती देना।

आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं के प्रभाव को रोकना।

जनता के विश्वास को मजबूत करना।

3. लागू क्षेत्र:

यह प्रावधान केंद्र और सभी राज्यों पर समान रूप से लागू होगा।

🔹 संसद में हंगामा और बहस

जैसे ही अमित शाह ने विधेयक सदन में रखा, विपक्षी दलों ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया।

विपक्षी सांसदों ने नारे लगाए – “संविधान मत तोड़ो”, “लोकतंत्र खतरे में है”।

कांग्रेस, तृणमूल, समाजवादी पार्टी और अन्य दलों ने कहा कि “यह विधेयक राजनीतिक हथियार बन सकता है, क्योंकि सिर्फ आरोप लगने मात्र से किसी को पद से हटाने की बाध्यता लोकतंत्र विरोधी है।”

 

👉 वहीं, सत्ता पक्ष के सांसदों ने इस विधेयक को “भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त राजनीति की दिशा में ऐतिहासिक कदम” बताया।

बीजेपी सांसदों ने कहा – “जनता साफ-सुथरी राजनीति चाहती है, और यह संशोधन उसी दिशा में है।”

🔹 आगे की राह

अब इस विधेयक पर विस्तृत चर्चा होगी।

इसे पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।

यदि लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित हो गया और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई, तो यह संविधान का हिस्सा बन जाएगा।

🔹 संभावित असर

1. राजनीतिक परिदृश्य बदलेगा – आपराधिक मामलों में फंसे नेताओं पर दबाव बढ़ेगा।

2. जनता का विश्वास – आम जनता में राजनीति के प्रति भरोसा बढ़ सकता है।

3. राजनीतिक संकट की आशंका – कई राज्यों में यदि मंत्री या सीएम पर आरोप लगे तो सरकार गिरने तक की स्थिति बन सकती है।

📰 निष्कर्ष:

यह विधेयक यदि कानून बनता है तो भारतीय राजनीति में एक बड़ा संवैधानिक सुधार होगा। हालांकि, विपक्ष इसे “लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ” बता रहा है, वहीं सरकार इसे “पारदर्शिता और जवाबदेही का नया अध्याय” कह रही है।

सह संपादक

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