गोपेश्वर साहू – ब्यूरो चीफ बिलाईगढ़ छत्तीसगढ़
सारंगढ़-बिलाईगढ़। जनपद पंचायत बिलाईगढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत बघमल्ला में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसने पंचायत व्यवस्था की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पंचायत सचिव बृजलाल यादव और सरपंच पर फर्जी बिल बनाकर 6 लाख 29 हजार 870 रुपये की भारी भरकम राशि गबन करने का सनसनीखेज आरोप सामने आया है।
पूरा मामला तब उजागर हुआ जब ग्राम पंचायत बघमल्ला के वित्तीय रिकॉर्ड खंगाले गए। जांच में पाया गया कि सचिव ने 28 मई 2025 को वित्तीय वर्ष के मद में राशि आहरण करने के लिए ग्राम पंचायत रायकोना के एक पुराने बिल का दुरुपयोग किया। उस बिल में एक बोर मोटर की आपूर्ति हेतु रमेश हार्डवेयर एंड इलेक्ट्रिकल्स का ₹46,370 का बिल था, जिसे बघमल्ला पंचायत के नाम से जेनरेट कर अपलोड किया गया। इससे भी चौंकाने वाली बात यह रही कि पूरे 6.29 लाख रुपये की राशि केवल एक बिल वाउचर के फोटो के आधार पर आहरित कर ली गई।
नियमों की सरेआम उड़ाई धज्जियां
पंचायती राज अधिनियम और वित्तीय नियमों के तहत डीएससी (डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट) करते समय बिल वाउचर का प्रमाण, उस पर सरपंच-सचिव की सील व हस्ताक्षर और संबंधित कार्य की सत्यता आवश्यक होती है। लेकिन बघमल्ला पंचायत में न तो कार्य स्थल था, न सामग्री पहुंची, और न ही किसी प्रकार का निर्माण या विकास कार्य दिखा। इसके बावजूद राशि आहरण कर दी गई।
कोरे कागज में ‘कार्य का नाम’ और ‘राशि’ लिखकर अपलोड
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सचिव बृजलाल यादव की चालाकी की पराकाष्ठा देखिए कि उन्होंने किसी प्रामाणिक दस्तावेज का उपयोग न करते हुए कोरे कागज पर ‘कार्य का नाम’ और ‘सामग्री की राशि’ दर्शा कर उसे विभागीय वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। इतना ही नहीं, जिस बिल वाउचर का इस्तेमाल ग्राम पंचायत रायकोना में पहले ही हो चुका था, उसे ही स्कैन कर बघमल्ला पंचायत में भी लगा दिया गया।
यह स्पष्ट रूप से न केवल वित्तीय फर्जीवाड़ा है, बल्कि यह सरकारी धन की डकैती जैसा संगीन मामला बनता है।
सरपंच-सचिव की बंदरबांट, पंचायत विकास ‘गायब’
ग्रामीणों की मानें तो राशि आहरण के बावजूद ग्राम पंचायत बघमल्ला में कोई कार्य नहीं हुआ। न बोर हुआ, न मोटर लगी, न किसी निर्माण कार्य की नींव रखी गई। उल्टा यह कहा जा रहा है कि इस राशि का बंदरबांट कर सरपंच और सचिव ने आपस में बांट लिया, जिससे पंचायत की तिजोरी तो खाली हो गई लेकिन गांव विकास की बाट ही देखता रह गया।
पंचायत सचिव का ‘मासूम’ बयान
जब पत्रकार द्वारा पंचायत सचिव बृजलाल यादव से दूरभाष पर संपर्क किया गया और यह पूछा गया कि “क्या आपने कोरे कागज में कार्य लिखकर बिल अपलोड किया?”, तो उन्होंने कहा –
“ऐसा कुछ नहीं हुआ है, और अगर हुआ होगा तो शायद किसी कारणवश ऐसा हो गया होगा…”
इस तरह का जवाब देकर उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों से पल्ला झाड़ने की कोशिश की, लेकिन तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर यह घोटाला उजागर हो चुका है।
सवाल यह उठता है…
1. क्या जनपद पंचायत के अधिकारी इस गड़बड़ी से अनजान हैं?
2. क्या यह मिलीभगत सिर्फ सचिव और सरपंच तक सीमित है, या ऊपर तक इसकी जड़ें फैली हैं?
3. बिना जांच के इतने बड़े राशि का डीएससी कैसे स्वीकृत हो गया?
जनता मांग रही है जांच और सख्त कार्रवाई
स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इस तरह के कृत्य से पंचायत की छवि धूमिल हो रही है और ईमानदार अधिकारी और कर्मचारी बदनाम हो रहे हैं।
जनता ने मांग की है कि जिला कलेक्टर एवं पंचायत विभाग इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाएं और दोषियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
यदि ऐसा नहीं किया गया, तो आने वाले समय में ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाएं पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएंगी और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा।
ग्राम पंचायत बघमल्ला का यह मामला पंचायती व्यवस्था के भीतर गहराते भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अभिलेखों की सत्यता की अनदेखी कर, दूसरे पंचायत के बिलों को कॉपी-पेस्ट कर, लाखों की राशि की लूट को अंजाम दिया जा सकता है। यदि समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो ऐसे मामले और बढ़ेंगे और “गांव की सरकार” आम जनता के बजाय चंद अफसरों और जनप्रतिनिधियों की जेबें भरने का जरिया बन जाएगी।
फ़िलहाल अब देखना यह है की सम्बंधित विभाग,भ्रष्टाचार में संलिप्त सचिव सरपंच पर क्या कार्रवाही करती है।