India Forex Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) एक बार फिर बढ़कर नए स्तर पर पहुँच गया है। 15 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह भंडार 1.48 अरब डॉलर बढ़कर 695.10 अरब डॉलर पर पहुँच गया। पिछले सप्ताह भी इसमें 4.74 अरब डॉलर की बड़ी बढ़ोतरी हुई थी और यह 693.61 अरब डॉलर तक पहुँच गया था। यह वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था और रुपया स्थिर रखने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों और सोने का हाल
भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Forex Assets) का होता है। इस सप्ताह यह 1.92 अरब डॉलर बढ़कर 585.90 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इसमें अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य मुद्राओं के उतार-चढ़ाव का भी प्रभाव शामिल है। हालांकि, सोने के भंडार में इस दौरान गिरावट दर्ज की गई है। सोने का भंडार 49.3 करोड़ डॉलर घटकर 85.66 अरब डॉलर रह गया। इसके अलावा, विशेष आहरण अधिकार (SDR) 4.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.78 अरब डॉलर हो गए हैं और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत की रिज़र्व पोज़िशन 1.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.75 अरब डॉलर हो गई है। इससे साफ है कि भारत का खज़ाना लगातार भरता जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार : हल्की बढ़त
भारत की तरह पाकिस्तान में भी विदेशी मुद्रा भंडार में हल्की सुधार दर्ज किया गया है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, 15 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 14.256 अरब डॉलर हो गया। पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 19.571 अरब डॉलर पर पहुँचा है, जिसमें से 5.315 अरब डॉलर का हिस्सा वाणिज्यिक बैंकों के पास है। कैट्रेड सिक्योरिटीज के मुताबिक, पाकिस्तान के पास कुल 19.6 अरब डॉलर का भंडार है, जो केवल 2.32 महीनों के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है। यह स्थिति भारत के मुकाबले काफी कमजोर मानी जा रही है, क्योंकि भारत का भंडार कई गुना बड़ा है और आर्थिक झटकों को झेलने में अधिक सक्षम है।
विदेशी मुद्रा भंडार क्या है और क्यों ज़रूरी है?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के पास उपलब्ध विदेशी मुद्राओं, सोने और अन्य परिसंपत्तियों का संग्रह होता है, जिसे केंद्रीय बैंक या मौद्रिक प्राधिकरण सुरक्षित रखता है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू मुद्रा को स्थिर बनाए रखना, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भुगतान करना और आर्थिक संकट या भुगतान संतुलन की स्थिति को संभालना होता है। सरल शब्दों में, विदेशी मुद्रा भंडार देश की आर्थिक ताकत और स्थिरता का पैमाना होता है। भारत जैसे देश के लिए यह न केवल रुपया को अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचाने में मदद करता है बल्कि निवेशकों के बीच भी भरोसा बढ़ाता है। यही कारण है कि भारत का लगातार बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार उसकी अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है और भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी साख और मजबूत करेगा।