रिपोर्टर टेकराम कोसले
Masb news
महाराष्ट्र के अक्कलकोट से कर्नाटक के इंडी-मुरूम को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 548बी इन दिनों खुद एक दुर्घटना का कारण बन गया है। इस मार्ग का निर्माण कार्य पिछले दो वर्षों से ठप पड़ा है, जिससे यह मार्ग अब केवल धूल, कीचड़ और जानलेवा गड्ढों का जाल बनकर रह गया है। यह वही मार्ग है जिस पर स्वामी समर्थ की नगरी अक्कलकोट जाने वाले हजारों श्रद्धालु हर दिन सफर करते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 548बी की स्थिति न सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता है, बल्कि यह नागरिकों के मूलभूत अधिकार – सुरक्षित परिवहन – का भी उल्लंघन है। सरकार और न्यायपालिका दोनों से अपेक्षा है कि वे संवेदनशीलता के साथ इस मामले पर संज्ञान लें और जल्द-से-जल्द इस मार्ग को चालू कर जनता को राहत दिलाएं।
आधूरे निर्माण के कारण सड़क पर फैला मौत का सन्नाटा
राजमार्ग पर जगह-जगह अधूरा निर्माण, उखड़े हुए डामर, गहरे गड्ढे, और बिना संकेतक के मोड़ – यह सब मिलकर किसी भी वाहन चालक के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि कुछ हिस्सों में तो बरसात के दिनों में सड़क का नामोनिशान तक नहीं रहता, केवल कीचड़ और पानी से लबालब खाई दिखाई देती है।
स्थानीय किसान, व्यापारी, स्कूल-कॉलेज के छात्र, और रोजमर्रा के यात्रियों के लिए यह मार्ग दुखद अनुभव बन चुका है।
न्यायालयीन मामला या सरकारी उदासीनता?
जब नागरिकों द्वारा लगातार शिकायतें की गईं तो संबंधित विभागों से एक ही उत्तर मिला – “यह मामला कोर्ट में लंबित है।” लेकिन जनता का सवाल यह है कि न्यायालय की प्रक्रिया के नाम पर जनता की जान को जोखिम में क्यों डाला जा रहा है?
क्या जब तक कोर्ट से फैसला नहीं आता, तब तक जनता यूं ही हादसों में जान गंवाती रहेगी? क्या सरकार की कोई अंतरिम ज़िम्मेदारी नहीं बनती?
स्वामी समर्थ भक्तों की भी परेशानी
अक्कलकोट स्थित स्वामी समर्थ मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक के कोने-कोने से श्रद्धालु इसी मार्ग से अक्कलकोट आते हैं, लेकिन मार्ग की जर्जर हालत के कारण अब कई लोग दर्शन पर आने से हिचक रहे हैं। इससे स्थानीय धार्मिक पर्यटन को भी भारी नुकसान हो रहा है।
स्थानीय निवासी हणमंत धुलशेट्टी कहते हैं:-
“हम रोजाना इसी रास्ते से जाते हैं। बारिश के दिनों में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है। कीचड़ में फंसकर गाड़ियाँ बंद हो जाती हैं, एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंचती, और बाइक चालकों को तो कई बार जान बचाकर भागना पड़ता है। हमारी सरकार और कोर्ट दोनों से विनती है कि इस हाईवे का काम जल्द पूरा हो।”
सामाजिक कार्यकर्ता भी आए सामने
सामाजिक संगठनों ने भी अब इस मामले में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है। कुछ कार्यकर्ताओं ने लोकनिर्माण विभाग (PWD) और एनएचएआई (NHAI) को ज्ञापन सौंपे हैं, वहीं कुछ संगठनों ने जनहित याचिका दाखिल करने की तैयारी की है।
जनप्रतिनिधि मौन क्यों?
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि, चाहे विधायक हों या सांसद, इस मुद्दे पर मौन साधे हुए हैं। जनता पूछ रही है कि चुनाव के समय “विकास” की बात करने वाले नेता अब कहां हैं?
जनता की मांगें:-
1. अधूरे पड़े मार्ग का कार्य तुरंत शुरू किया जाए।
2. सड़क पर चलना सुरक्षित बनाया जाए, खासकर बरसात में।
3. अस्थायी मरम्मत कर कम से कम हादसों को रोका जाए।
4. कार्य में देरी करने वाले ठेकेदारों और अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।