Supreme Court ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि अधूरी, गड्ढों से भरी और ट्रैफिक जाम से जूझ रही सड़कों पर यात्रियों से जबरन टोल टैक्स नहीं वसूला जा सकता। अदालत ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें त्रिशूर जिले के पालयेक्कारा प्लाजा पर टोल वसूली पर रोक लगाई गई थी। मुख्य न्यायाधीश भुशन आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और कंसैशनर की याचिकाओं को खारिज कर दिया और साफ कहा कि नागरिकों का हित किसी भी वित्तीय नुकसान से ऊपर है।
“गड्ढों और नालियों के लिए क्यों दें टैक्स?”
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नागरिक पहले से ही टैक्स देकर सड़क निर्माण में योगदान कर चुके हैं। ऐसे में उनसे दोबारा यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे गड्ढों, नालियों और अधूरी सड़कों से गुजरने के लिए अतिरिक्त टोल टैक्स अदा करें। अदालत ने टिप्पणी की कि खराब और अधूरी सड़कों पर टोल वसूलना ‘अक्षमता का प्रतीक’ है और यह जनता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
हाईकोर्ट के आदेश से सहमत सुप्रीम कोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने पहले ही साफ कर दिया था कि NHAI या उसके एजेंट अगर सुरक्षित और नियमित सड़क सुविधा उपलब्ध कराने में असफल रहते हैं, तो यह जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाता है और टोल प्रणाली की मूल भावना को कमजोर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को सही मानते हुए कहा कि जनता से टोल वसूलने की शर्त तभी लागू होती है, जब सड़कें पूरी तरह सुरक्षित और चलने लायक हों।
“12 घंटे में क्यों दें ₹150 का टोल?”
NHAI ने दलील दी थी कि सड़क पर जाम केवल कुछ ‘ब्लैक स्पॉट्स’ तक सीमित है जहां अंडरपास का काम चल रहा है। लेकिन अदालत ने कहा कि यदि 65 किलोमीटर लंबे मार्ग में केवल 5 किलोमीटर भी जाम हो, तो उसका असर पूरे रास्ते पर पड़ता है और यात्रा घंटों तक ठप हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले सप्ताह एडापल्ली-मन्नुथी मार्ग 12 घंटे तक जाम में पंगु हो गया था। अदालत ने तीखी टिप्पणी की – “अगर 12 घंटे लग रहे हैं तो कोई ₹150 का टोल क्यों भरे?”
NHAI की दलील खारिज
वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दिवान और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि टोल से होने वाली आय से ही सड़क नेटवर्क का रखरखाव संभव है और रोक से प्रतिदिन करीब ₹49 लाख का घाटा होगा। लेकिन अदालत ने साफ कहा कि नागरिकों की सुविधा और सुरक्षा सर्वोपरि है, पैसों से बढ़कर जनता का हित है। यह फैसला देशभर में टोल टैक्स व्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकता है और यात्रियों को राहत की उम्मीद जगा सकता है।