जापान की Sumitomo Mitsui Banking Corporation (SMBC) को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से Yes Bank में 24.99 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी मिल गई है। इस खबर के बाद सोमवार को Yes Bank के शेयरों पर सभी की निगाहें होंगी। पिछले शुक्रवार को, जो पिछले सप्ताह का अंतिम ट्रेडिंग दिन था, बैंक के शेयर 0.77 प्रतिशत गिरकर 19.28 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुए थे। इस अनुमोदन से निवेशकों और बाजार में उम्मीद जगी है कि बैंक के शेयरों में नए रुझान देखने को मिल सकते हैं।
सेकेंडरी मार्केट के जरिए खरीदारी
Yes Bank ने 9 जुलाई 2025 को सूचना दी थी कि SMBC ने बैंक में हिस्सेदारी सेकेंडरी मार्केट के माध्यम से खरीदने का प्रस्ताव रखा है। इसमें से 13.19 प्रतिशत हिस्सेदारी State Bank of India (SBI) से खरीदी जाएगी। इसके अलावा 6.81 प्रतिशत हिस्सेदारी सात अन्य शेयरधारकों से खरीदी जाएगी। इन शेयरधारकों में Axis Bank, Bandhan Bank, Federal Bank, HDFC Bank, ICICI Bank, IDFC First Bank और Kotak Mahindra Bank शामिल हैं। इस प्रकार SMBC का बैंक में प्रवेश विभिन्न बड़े शेयरधारकों के हिस्सों को खरीदने के माध्यम से होगा, जिससे बैंक की मालिकाना संरचना में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
अनुमोदन की वैधता और शर्तें
Yes Bank ने अपने नियामक फाइलिंग में बताया कि RBI की पत्रांकित तारीख 22 अगस्त 2025 के अनुसार SMBC को 24.99 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी गई है, और यह अनुमति एक वर्ष तक वैध रहेगी। बैंक ने स्पष्ट किया कि इस हिस्सेदारी के अधिग्रहण के बाद भी SMBC को बैंक का प्रमोटर नहीं माना जाएगा। RBI के अनुमोदन के साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं, जैसे Banking Regulation Act, 1949, RBI के Master Directions और Guidelines on Acquisition and Holding of Shares or Voting Rights in Banking Companies (16 जनवरी 2023 से समय-समय पर संशोधित) का पालन करना और Foreign Exchange Management Act, 1999 की प्रावधानों का अनुपालन।
SMBC के बारे में जानकारी और वैश्विक स्थिति
SMBC, Sumitomo Mitsui Financial Group (SMFG) की पूरी तरह से स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। यह जापान का दूसरा सबसे बड़ा और दुनिया का 14वां सबसे बड़ा बैंकिंग समूह है। SMBC का नेट वर्थ लगभग 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास है। इस प्रवेश से ना केवल Yes Bank की वित्तीय स्थिति में मजबूती आएगी बल्कि बैंक को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और वैश्विक वित्तीय नेटवर्क से लाभ भी होगा। इस कदम से भारत-जापान के वित्तीय संबंधों में भी मजबूती देखने को मिलेगी और भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी निवेश की धारणा को बढ़ावा मिलेगा।