रिपोर्टर टेकराम कोसले
Masb news
बलौदाबाजार, 12 जुलाई 2025/ पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सोनाखान में वृक्षारोपण तथा स्वच्छता अभियान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय एसडीएम श्री आर. आर. दुबे के नेतृत्व में विद्यालय परिसर को हरित व स्वच्छ बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय परिसर में पौधरोपण से हुई, जिसमें एसडीएम सहित शिक्षक, अधिकारी, विद्यालय के स्टाफ और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। सभी ने मिलकर विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए—जिनमें फलदार, छायादार और औषधीय पौधे शामिल थे। इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखना है, बल्कि विद्यार्थियों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाना भी है।
वृक्षारोपण के उपरांत सभी प्रतिभागियों ने विद्यालय परिसर में श्रमदान कर साफ-सफाई की। इस अभियान ने विद्यार्थियों के भीतर स्वच्छता और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को जागृत किया।
शिक्षण गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
कार्यक्रम के दौरान एसडीएम श्री दुबे ने विद्यालय का निरीक्षण कर शिक्षण व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियों से बातचीत की और उनकी पढ़ाई की जानकारी ली। उन्होंने बच्चों को पढ़ाई के प्रति गंभीर रहने, समय का सदुपयोग करने और अनुशासन में रहकर अपने लक्ष्य की दिशा में लगातार प्रयास करते रहने की प्रेरणा दी।
उन्होंने विद्यार्थियों को यह भी बताया कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे वे न केवल अपने परिवार बल्कि समाज और देश का नाम रोशन कर सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता और गुरुजनों का आदर करने तथा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया।
जनजातीय विद्यार्थियों के लिए सुनहरा अवसर
गौरतलब है कि भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, सोनाखान में अनुसूचित जनजाति के बच्चों को कक्षा 6वीं से 12वीं तक निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है। यह विद्यालय न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता का केंद्र है, बल्कि यहां विद्यार्थियों को खेल, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, और जीवन कौशल का भी प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे उनका समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।
यह अभियान न केवल पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि बच्चों के भीतर आत्म-अनुशासन, सामाजिक उत्तरदायित्व और राष्ट्र निर्माण में योगदान की भावना को भी सुदृढ़ करता है।