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CAPF: अर्धसैनिक बलों में साइबर अपराधियों की सेंध, जवानों को मोबाइल हैकिंग और फर्जी लोन जाल में फंसाने की साजिश

CAPF: देश में साइबर अपराध (Cyber Crime) तेजी से बढ़ रहे हैं और अब इसका शिकार आम लोगों के साथ-साथ सरकारी और अर्धसैनिक बलों के जवान भी हो रहे हैं। मोबाइल हैकिंग, फर्जी लोन, आईटीआर रिफंड और नकली लिंक के जरिए जवानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के कई मामले सामने आए हैं। हाल ही में सामने आए मामलों से साफ है कि साइबर अपराधी अब जवानों की सुरक्षा व्यवस्था और अनुशासन का फायदा उठाकर उन्हें निशाना बना रहे हैं।

सीआरपीएफ जवान से 5.72 लाख रुपये की ठगी

ताजा मामला सीआरपीएफ के सिपाही/जीडी अनिल सोरेन का है, जो वर्तमान में वाराणसी के मच्छोदरी पार्क कैंप में तैनात हैं। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा ड्यूटी में तैनात सिपाही को 16 अगस्त को एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को एसबीआई योनो ऐप का कर्मचारी बताया और कहा कि उनका ऐप पुराने वर्जन का है। उसने व्हाट्सएप पर नया ऐप भेजा और लॉगिन करने को कहा।
सिपाही ने यूजरनेम और पासवर्ड डाल दिया, जिसके बाद कुछ ही घंटों में उसके खाते से 5,72,500 रुपये निकल गए। ठगों ने चार ट्रांजैक्शन में पूरी रकम निकाल ली। जब तक सिपाही को शक हुआ, तब तक खाते से पूरा पैसा साफ हो चुका था।

आईटीआर रिफंड में एसएसबी जवान से ठगी

एक और मामला सशस्त्र सीमा बल (SSB) के जवान का है। आरक्षी (एमटीएस) राजीव ओरांव ने किसी अनजान व्यक्ति के जरिए आईटीआर फाइल करवाया। ठग ने उनके इनकम टैक्स पोर्टल पर अपना मोबाइल नंबर, ईमेल और बैंक खाता अपडेट कर दिया। नतीजा, रिफंड की 77,040 रुपये की राशि उस ठग के खाते में चली गई।
इस घटना के बाद एसएसबी ने अपने जवानों को चेतावनी जारी की कि वे अधिक रिफंड के लालच में किसी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी संवेदनशील जानकारी साझा न करें।

नकली लोन के जाल में फंसा सीआरपीएफ हवलदार

सीआरपीएफ की 181वीं बटालियन के हवलदार जीडी श्रीबास पाल के साथ भी ऑनलाइन ठगी हुई। उनके खाते में बिना आवेदन किए 2,40,000 रुपये का लोन स्वीकृत हुआ। इसके बाद चार ट्रांजैक्शन में 3,85,512 रुपये खाते से निकाल लिए गए।
CAPF: अर्धसैनिक बलों में साइबर अपराधियों की सेंध, जवानों को मोबाइल हैकिंग और फर्जी लोन जाल में फंसाने की साजिश
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व्हाट्सएप कॉल के जरिए ठगने की कोशिश

एक और मामले में ठग ने अफसर बनकर जवान को व्हाट्सएप पर कॉल किया। उसने खुद को वरिष्ठ अधिकारी बताया और पैसे ट्रांसफर करने को कहा। जवान को शक हुआ और उसने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से पुष्टि करने की बात कही। इस समझदारी की वजह से वह ठगी से बच गया।

ट्रेडिंग ऐप में 15.90 लाख का नुकसान

एसएसबी के निरीक्षक उपेंद्र कुमार मिश्र को साइबर ठगों ने “एक्सक्लूसिव एप” के जरिए चपत लगाई। मिश्र ने 15.90 लाख रुपये ट्रेडिंग में लगाए थे। ठग ने उन्हें दिखाया कि उनकी राशि बढ़कर 55 लाख रुपये हो गई है। लेकिन जब उन्होंने 30 लाख रुपये निकालने चाहे तो पता चला कि पूरा पैसा फंस चुका है और ठग गायब हो चुके हैं।

बीएसएफ जवान भी नहीं बचे

बीएसएफ की 100वीं बटालियन के जवान सिपाही जीडी सुबोध राम और हवलदार एनए महेश कुमार सिंह को भी साइबर अपराधियों ने निशाना बनाया। उन्हें व्हाट्सएप पर “आयुष्मान भारत” नाम से एक लिंक भेजा गया। लिंक पर क्लिक करते ही उनके क्रेडिट कार्ड से तीन मोबाइल फोन खरीद लिए गए।

लगातार बढ़ रहे हैं खतरे

सीआरपीएफ की 48वीं बटालियन के एसआई (जीडी) रतन चंद के खाते से भी साइबर ठगों ने 2,97,615 रुपये निकाल लिए। यह ठगी केवल 5 रुपये सर्विस चार्ज के बहाने से शुरू हुई थी।
ये मामले बताते हैं कि साइबर अपराधी कितनी चालाकी से जवानों को निशाना बना रहे हैं। कभी बैंक कर्मचारी बनकर, कभी आईटीआर रिफंड के नाम पर, तो कभी फर्जी लोन और मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए जवानों के खाते साफ कर दिए जाते हैं।
अर्धसैनिक बलों के जवान देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं, लेकिन अब वे साइबर ठगों के निशाने पर हैं। यह न केवल आर्थिक नुकसान है बल्कि जवानों का मनोबल गिराने की भी साजिश है। ऐसे मामलों से बचने के लिए जवानों को साइबर जागरूकता की ट्रेनिंग देना बेहद जरूरी है। बैंकिंग और पर्सनल डिटेल कभी किसी अनजान व्यक्ति या कॉल पर साझा न करें। सरकार और बलों को भी साइबर सुरक्षा के लिए विशेष अभियान चलाने होंगे ताकि हमारे जवान सुरक्षित रह सकें।

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