बलौदाबाजार/रायपुर छत्तीसगढ़ में पारंपरिक उत्साह और आस्था के साथ पोरा तिहार मनाया गया। ग्रामीण अंचलों में यह त्यौहार विशेष रूप से किसानों और बच्चों के लिए हर्षोल्लास का पर्व माना जाता है।
इस अवसर पर किसानों ने अपने हल जोतने वाले बैलों की विधि-विधान से पूजा कर आभार व्यक्त किया। गांव-गांव में ढोल-नगाड़ों की गूंज और पारंपरिक गीतों के साथ वातावरण उत्सवमय बना रहा। बच्चे मिट्टी के बैल बनाकर नंदिया-झूला खेलते हुए खुशी जाहिर करते दिखे।
पोरा तिहार को छत्तीसगढ़ की कृषि संस्कृति और ग्राम्य जीवन से जुड़ा त्योहार माना जाता है। यह पर्व किसान और पशुधन के अटूट संबंध को दर्शाता है। इस दिन ग्रामीण इलाकों में मेलों का आयोजन, पारंपरिक व्यंजन और सामाजिक एकजुटता की झलक देखने को मिली।