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Breast Cancer: शुरुआत में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें? ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण और बचाव के आसान तरीके

Breast Cancer: आज के समय में स्तन कैंसर भारत सहित दुनिया भर की महिलाओं में सबसे आम बीमारियों में से एक बन चुका है। स्तन कैंसर के मरीज या उनके परिवार वाले अक्सर यही सवाल करते हैं कि क्या यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है? इस सवाल के जवाब के लिए हमने आर्ट ऑफ हीलिंग कैंसर के मुख्य ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. मनीप सिंह से बात की। डॉ. सिंह के अनुसार, यह कहना कठिन है कि स्तन कैंसर को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है या नहीं, लेकिन आज का इलाज इतना उन्नत हो चुका है कि इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। चलिए जानते हैं कि कैंसर के इलाज की सफलता किन कारकों पर निर्भर करती है और इसकी शुरुआत में ही पहचान कैसे की जा सकती है।

कैंसर का स्टेज ही तय करता है इलाज की संभावना

डॉ. सिंह बताते हैं कि कैंसर का स्टेज सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि कैंसर बहुत प्रारंभिक अवस्था (प्री-कैंसरस) में है, तो ठीक होने की संभावना 95% से अधिक होती है। जब कैंसर केवल स्तन तक सीमित होता है, तो ठीक होने की दर लगभग 80 से 90% तक हो सकती है। यदि कैंसर लिम्फ नोड्स तक फैल चुका है, तब भी उपचार से 50% तक ठीक होने की उम्मीद बनी रहती है। लेकिन अगर कैंसर स्टेज 4 तक पहुंच गया है, तब भी यह मौत का कारण नहीं बनता और 20-30% तक ठीक होने की संभावना रहती है।

Breast Cancer: शुरुआत में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें? ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण और बचाव के आसान तरीके

स्तन कैंसर के प्रकार और उनका इलाज

स्तन कैंसर के मुख्य तीन प्रकार होते हैं: HER2-पॉजिटिव, हार्मोन-पॉजिटिव और ट्रिपल नेगेटिव। HER2-पॉजिटिव केस में इम्यूनोथेरेपी और टारगेटेड ट्रीटमेंट दी जाती है। इसमें शुरू में सर्जरी नहीं होती बल्कि कीमोथेरेपी दी जाती है और प्रतिक्रिया पर नजर रखी जाती है। हार्मोन-पॉजिटिव कैंसर में उपचार लंबे समय तक कैंसर को नियंत्रित रखता है, हालांकि 5-8 वर्षों के बाद पुनरावृत्ति का खतरा रहता है। ट्रिपल नेगेटिव सबसे आक्रामक होता है, खासकर शुरुआती दो सालों में। इसमें पहले कीमो/इम्यूनोथेरेपी दी जाती है और फिर ऑपरेशन होता है, जिससे इलाज के बाद पूरी तरह ठीक होने की संभावना होती है।

शुरुआत में स्तन कैंसर का पता कैसे लगाएं?

स्तन कैंसर की शुरुआत में पहचान के लिए डॉ. सिंह महिलाओं को खुद अपने स्तनों की जांच करने की सलाह देते हैं। छोटे से छोटे बदलाव जैसे स्तन का आकार, रंग या त्वचा में कोई परिवर्तन महसूस हो तो उसे नजरअंदाज न करें। किसी भी नए गांठ, सूजन, दर्द या कठोरता को तुरंत मेडिकल जांच करवाएं। नियमित जांच से बीमारी को जल्दी पकड़ा जा सकता है, जिससे इलाज सफल हो सके।

नई तकनीक और भविष्य की उम्मीदें

डॉ. सिंह कहते हैं कि विज्ञान अब तेजी से बदल रहा है। आज रक्त जांच के माध्यम से भी कैंसर की स्थिति को मॉनिटर किया जा सकता है जिससे बीमारी जल्दी पकड़ी जा सके। साथ ही व्यक्तिगत डाइट और सप्लीमेंट्स भी इलाज के दौरान दिये जा रहे हैं, जो उपचार को असरदार बनाते हैं और बीमारी के पुनरावृत्ति के खतरे को कम करते हैं। यानि स्तन कैंसर को हमेशा के लिए खत्म करना शायद संभव न हो, लेकिन इसे शुरुआती चरण में पकड़कर बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

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