पिछले सप्ताह भारतीय Stock Market में लगातार कमजोरी देखी गई। देश की टॉप 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में से 6 कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में 1.36 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई। सबसे बड़ा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ। बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स लगातार छठे सप्ताह भी गिरावट के साथ बंद हुआ। पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 742.12 अंक यानी 0.92 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि निफ्टी 202.05 अंक यानी 0.82 प्रतिशत नीचे आया। इस गिरावट के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस और हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी बड़ी कंपनियों के बाजार मूल्य में कमी आई।
गिरते बाजार में लाभ कमाने वाली चार कंपनियां
हालांकि इस मंदी के दौर में कुछ कंपनियों ने मुनाफा कमाया। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एलआईसी) और बजाज फाइनेंस ने इस दौरान अच्छी वृद्धि दिखाई। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट कैप में 34,710.8 करोड़ रुपये की गिरावट आई और यह 18,51,174.59 करोड़ रुपये पर आ गया। एचडीएफसी बैंक का मार्केट कैप 29,722.04 करोड़ रुपये घटकर 15,14,303.58 करोड़ रुपये रह गया। आईसीआईसीआई बैंक और इन्फोसिस के मार्केट कैप में भी क्रमशः 24,719.45 करोड़ और 19,504.31 करोड़ रुपये की कमी देखी गई। दूसरी ओर एलआईसी का मार्केट कैप 17,678.37 करोड़ रुपये बढ़कर 5,77,187.67 करोड़ रुपये हो गया।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बढ़ाई कमजोरी
इस कमजोरी का एक बड़ा कारण अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार तनाव, कंपनियों के कमजोर पहली तिमाही परिणाम और रुपए की गिरती कीमत को माना जा रहा है। अगस्त महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजार से लगभग 18,000 करोड़ रुपये की निकासी की है, जिससे बाजार में गिरावट नहीं रुक रही है। इस वजह से निवेशकों का मनोबल गिरा है और बाजार में नकारात्मक माहौल बना हुआ है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज बनी सबसे मूल्यवान कंपनी
भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी के रूप में रिलायंस इंडस्ट्रीज का स्थान बरकरार रहा। इसके बाद एचडीएफसी बैंक, टीसीएस, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, इन्फोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एलआईसी और बजाज फाइनेंस की बारी है। इन कंपनियों का बाजार मूल्य देश की आर्थिक स्थिति और निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। हालांकि फिलहाल कमजोर आर्थिक संकेतों ने इन कंपनियों के शेयरों को दबाव में रखा है।
बाजार के सुधार के लिए क्या उम्मीद?
विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी निवेशकों की निकासी और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी। हालांकि लंबी अवधि के निवेशक इस स्थिति को अवसर के रूप में देख रहे हैं। सरकार द्वारा सुधारों और आर्थिक नीतियों को मजबूत करने पर बाजार में धीरे-धीरे स्थिरता आ सकती है। निवेशकों को सतर्क रहने और जोखिमों को समझकर निवेश करने की सलाह दी जा रही है।