सरजू प्रसाद साहू।
समाज के सबसे कमजोर वर्ग, विशेषकर दैनिक श्रमिक के बच्चों की शिक्षा पर मध्यान्ह भोजन योजना के प्रभाव पर
सोशल एक्टिविस्ट तरुण खटकर की कलम से एक लेख
समाज में कई ऐसे वर्ग हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण दैनिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी संघर्ष करते हैं। इनमें समाज के सबसे कमजोर वर्ग विशेषकर दिहाड़ी श्रमिक प्रमुख हैं, जिनके जीवन का चक्र ‘रोज कमाना और रोज खाना’ पर टिका होता है। ऐसे परिवारों के बच्चों के लिए शिक्षा दूर का सपना सरीखी होता है, क्योंकि उनके माता-पिता के लिए भोजन पहली प्राथमिकता होती है। गरीबी की मार इन बच्चों को बाल श्रम की ओर धकेल देती है या वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। ऐसे नाजुक हालातों में,
मध्याह्न भोजन योजना एक उम्मीद की किरण बनकर आती है, जो न केवल इन बच्चों को पोषण प्रदान करती है बल्कि उन्हें शिक्षा के मंदिर तक लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मध्याह्न भोजन योजना, सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त में दोपहर का भोजन प्रदान करने की एक दूरदर्शी पहल है। यह सरकारी योजना दोहरे लाभ प्रदान करती है।
पहला और सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराती है, जिससे उनकी भूख शांत होती है और उन्हें आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। कुपोषण से जूझ रहे बच्चों के लिए यह योजना जीवनदायिनी साबित हो सकती है, उनके शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा दे सकती है। जब बच्चों का पेट भरा होता है, तो वे बेहतर ढंग से सीखने और ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होते हैं।
दूसरा महत्वपूर्ण लाभ यह है कि मध्याह्न भोजन योजना बच्चों को नियमित रूप से स्कूल आने के लिए प्रेरित करती है। गरीब परिवारों के लिए, एक बच्चे को स्कूल भेजने का मतलब है एक कमाने वाले हाथ का नुकसान। हालांकि, जब उन्हें पता चलता है कि स्कूल में उनके बच्चों को कम से कम एक समय का पौष्टिक भोजन मिलेगा, तो वे उन्हें स्कूल भेजने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं। यह योजना नामांकन दर बढ़ाने और बच्चों की उपस्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। जो बच्चे पहले भोजन की कमी के कारण स्कूल छोड़ देते थे, वे अब नियमित रूप से विद्यालय आ रहे हैं, जिससे उनकी शिक्षा निर्बाध रूप से जारी है।
मध्याह्न भोजन योजना न केवल बच्चों को भोजन और शिक्षा प्रदान करती है, बल्कि यह सामाजिक समानता को बढ़ावा देने में भी सहायक है। जब सभी वर्गों के बच्चे एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, तो उनमें अपनत्व और भाईचारे की भावना विकसित होती है। यह जाति, धर्म और आर्थिक स्थिति के आधार पर होने वाले भेदभाव को कम करने में मदद करता है।
हालांकि, मध्याह्न भोजन योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता सुनिश्चित करना, मेनू में विविधता लाना, और योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना महत्वपूर्ण है। स्थानीय समुदायों और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी से इस योजना को और अधिक सफल बनाया जा सकता है।
मैं आज इस लेख के माध्यम से आप सभी से खासकर युवाओं से एक विनम्र अपील करता हू अगली बार जब आपका जन्मदिन या कोई विशेष अवसर आए तो क्यों न आप अपनी खुशी को ऐसे बच्चों के साथ साझा करें, क्यों न आप अपनी खुशी में खर्च करने वाले पैसे का कुछ हिस्सा अपने निकट के सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन योजना में योगदान दें
जरा सोचिए आपके इस महत्वपूर्ण योगदान से बच्चों को पौष्टिक भोजन मिल जाएगा।यह भोजन न केवल उनका पेट भरेगा बल्कि उन्हें स्वस्थ रहने और शिक्षा प्राप्त करने में भी मदद करेगा। जब आप इस योजना में अपनी भागीदारी निभाते है तो हम सीधे तौर पर उन बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं यह सिर्फ सहयोग नही बल्कि बच्चों के भविष्य में निवेश हैं।यह उन्हें एहसास दिलाएगा कि समाज उनके साथ है और उनकी परवाह करता है । यह छोटा सा प्रयास आपको आत्म संतुष्टि और एक अलग खुशी देगा जो किसी भी महंगे आयोजनों से कही बढ़कर है।
तो इस बार आने वाले खास दिन को एक नई दिशा देकर अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर किसी सरकारी स्कूल में जाईए, बच्चों से मिलिए और देखिए कि आपका छोटा सा प्रयास उनके लिए कितना मायने रखता है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मध्याह्न भोजन योजना समाज के सबसे कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए एक वरदान है। यह न केवल उन्हें भूख से राहत दिलाती है बल्कि उन्हें शिक्षा के अधिकार से भी जोड़ती है। यह योजना एक स्वस्थ और शिक्षित भविष्य की नींव रखती है, जिससे न केवल इन बच्चों का बल्कि पूरे समाज का विकास सुनिश्चित होता है। हमें इस महत्वपूर्ण पहल को और मजबूत करने की दिशा में निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए ताकि कोई भी बच्चा भूख और अशिक्षा के कारण पीछे न छूट जाए।