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सेड़वा बाड़मेर एक ही ग्राम पंचायत भवन का दोबारा शिलान्यास हो सकता, पहले कभी नहीं देखा।

सरजू प्रसाद साहू।

बाड़मेर-: सवाल सिर्फ एक पंचायत भवन तक सीमित नहीं है — यह सवाल है प्रशासनिक जवाबदेही, जनभावनाओं और लोकतंत्र की गरिमा का,ग्राम पंचायत रोहिला (सेड़वा) के लिए दिनांक 28 जुलाई 2023 को पंचायत भवन का विधिवत शिलान्यास मेरे करकमलों से किया गया। उस ऐतिहासिक अवसर पर गाँव के सैकड़ों ग्रामवासी, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, पंचायत समिति के प्रधान, ज़िला प्रमुख और सरपंच की उपस्थिति रही। न केवल शिलान्यास की पट्टिका, बल्कि सरकारी अभिलेख भी इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि कार्य वैध रूप से स्वीकृत हुआ, बजट आवंटित हुआ और निर्माण कार्य 50% से अधिक पूरा भी हो चुका था

लेकिन अब जब सरकार बदली है, तो उसी भवन का स्थान बदलकर, पहले से 2–3 किलोमीटर दूर, उसी ग्राम पंचायत भवन का फिर से शिलान्यास करवाया जा रहा है — यह न केवल जनता की गाढ़ी कमाई का अपमान है, बल्कि यह प्रशासनिक स्वीकृतियों, ग्रामीण विकास की नीतियों और लोकतांत्रिक भावना का खुला उल्लंघन है

सरकार से यह सवाल  है: क्या पूर्व सरकार द्वारा वैध रूप से किए गए शिलान्यास को रद्द करना संवैधानिक है?

क्या ग्रामवासियों की सहमति और रिकॉर्ड में दर्ज कार्यों को इस तरह नकारना जायज़ है? क्या आधे बने भवन को छोड़कर नया भवन शुरू करना जनता के पैसों का दुरुपयोग नहीं है? क्या यह राजनीतिक प्रतिशोध नहीं है, जो सिर्फ एक निर्वाचित अनुसुचित जाति के सरपंच को लक्ष्य बनाकर दिखाया जा रहा है?

सह संपादक

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