
बलौदा बाजार।
वन मंडल बलौदा बाजार के बार-नवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। अभ्यारण्य के मुख्य कार्यालय और वन परिक्षेत्र कार्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर सड़क किनारे एक चीतल मृत अवस्था में कई दिनों से पड़ा रहा, लेकिन वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
राहगीरों को जब दुर्गंध आई तो उन्होंने गाड़ी रोककर देखा तो एक चीतल मृत अवस्था में सड़-गल रहा था। तभी हमारे पत्रकार साथी ने पूरा मामला वीडियो में कैद किया और राहगीरों से जानकारी लेने के बाद वनकर्मियों को अवगत कराया। मौके पर पहुंचे सीमावर्ती बीट के वनरक्षक मिथिलेश ठाकुर ने स्वीकार किया कि मृत प्राणी चीतल (हिरण प्रजाति) है और उसे तेंदुए ने मारा है। चौंकाने वाली बात यह रही कि उन्हें इसकी जानकारी मीडिया से मिली। जबकि नियम के अनुसार मृत वन्य प्राणी के पास कैमरे लगाए जाने चाहिए थे, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि शिकार किस जानवर ने किया है।
पत्रकार धनीराम निराला ने बताया कि वह कराटे मार्शल आर्ट प्रशिक्षण संबंधी खेल एवं युवा कल्याण विभाग के जिलासभापति से प्रशिक्षण संबंधित कार्य से मिलने जा रहे थे तभी उन्हें राहगीरों की भीड़ दिखाई दी और पूरा मामला उनके संज्ञान में आया। उन्होंने तत्काल अधिकारियों को सूचना दी।
वन परिक्षेत्र अधिकारी गोपाल वर्मा ने स्वीकार किया कि उन्हें वनरक्षक द्वारा सूचना मिली थी कि तेंदुए ने शिकार किया है, लेकिन कैमरे नहीं लगाए गए। वहीं, एक अन्य वनरक्षक धनेश्वर ध्रुव ने दावा किया कि कक्ष क्रमांक 108 उसके बीट में आता है और उसने कैमरा लगाया था। कर्मचारियों की बयानबाजी में विरोधाभास ने विभागीय लापरवाही को और उजागर कर दिया है।
एक ओर अभ्यारण्य आम नागरिकों के लिए बंद है ताकि वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके, लेकिन जब सुरक्षाकर्मी ही अपनी ड्यूटी में चूक करेंगे तो वन्य प्राणी कैसे सुरक्षित रहेंगे? सवाल यह उठता है कि यदि कर्मचारियों को घटना की जानकारी पहले से थी तो समय पर कैमरा क्यों नहीं लगाया गया और मृत चीतल कई दिनों तक बिना जांच-परख के क्यों पड़ा रहा?
यह पूरा घटनाक्रम वन मंडल अधिकारी गड़वीर धमशील के उद्देश्यों को धता बताता है, जो लगातार वन्य प्राणियों की सुरक्षा और निगरानी को लेकर सक्रिय रहते हैं। मगर अधीनस्थ कर्मचारियों की लापरवाही से उनके प्रयासों पर पानी फिर रहा है।
संरक्षण के लिए डी एफ ओ गढ़वीर धमशील की पहल
हालांकि, यह भी सच है कि वन मंडलाधिकारी गढ़वीर धमशील लगातार जमीनी स्तर पर वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर प्रयासरत हैं। वे स्वयं पैदल ट्रैकिंग करते हैं और अधीनस्थ कर्मचारियों को नियमित गश्त करने के निर्देश देते रहते हैं। उनका उद्देश्य है कि वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम का पालन कड़ाई से हो और अभ्यारण्य में निवास करने वाले जीव-जंतु सुरक्षित वातावरण में रह सकें।
गढ़वीर धमशील का मानना है कि जंगल और वन्य प्राणी केवल प्रकृति की धरोहर ही नहीं बल्कि स्थानीय जैव विविधता की आत्मा हैं। उन्होंने कई मौकों पर ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को भी जागरूक किया है कि शिकार, अवैध लकड़ी कटाई या वन्य प्राणियों को नुकसान पहुँचाना दंडनीय अपराध है।
साथ ही, उन्होंने अपनी टीम को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि संदेहास्पद घटनाओं की तुरंत रिपोर्टिंग हो और किसी भी मृत वन्य प्राणी की स्थिति पर कैमरा ट्रैप अनिवार्य रूप से लगाया जाए।

लोगों को मिलकर आगे आना होगा 🙌