रिपोर्टर टेकराम कोसले
Masb news
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल एम. पंचोली को शीर्ष न्यायालय में पदोन्नति के लिए सिफारिश की है। लेकिन इस प्रक्रिया पर कॉलेजियम की सदस्य जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कड़ी असहमति दर्ज कर न्यायपालिका की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा है कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति न केवल न्याय प्रशासन के लिए “प्रतिकूल” होगी, बल्कि कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी चोट करेगी। उन्होंने उनके स्थानांतरण को “असामान्य” बताते हुए 2023 के गोपनीय कार्यवृत्त मंगाने का सुझाव दिया है। उनका इशारा स्पष्ट है कि यह मामला किसी न्यायाधीश की कार्यप्रणाली और चरित्र से जुड़ा है।
दरअसल, पंचोली का नाम तीन माह पहले खारिज हो चुका था। फिर अचानक वही नाम बहुमत से पारित कर दिया गया। सवाल उठता है कि 57वीं वरिष्ठता पर खड़े पंचोली को फिर से क्यों प्राथमिकता दी गई? क्या यह नियुक्ति योग्यता से ज्यादा राजनीति से जुड़ी है?
संविधान पर हो रहे हमलों और संस्थानों की स्वतंत्रता पर हो रहे क्षरण के दौर में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका बेहद अहम है। ऐसे में जस्टिस नागरत्ना की असहमति केवल तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि संविधान बचाने की चेतावनी है।
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केरल में भाजपा की जीत का सच: वोट जोड़-तोड़ से खुला खाता
केरल की राजनीति में अब तक कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ और माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा ही बारी-बारी से सत्ता में आते रहे हैं। लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने त्रिशूर सीट पर जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया।
फिल्म अभिनेता और भाजपा प्रत्याशी सुरेश गोपी को विजयी घोषित किया गया, जबकि 2019 में वे तीसरे स्थान पर थे। यह सीट माकपा का गढ़ मानी जाती है। खास बात यह रही कि चुनाव से ठीक पहले माकपा जिला समिति के बैंक खातों को चुनाव आयोग ने ब्लॉक कर दिया था।
अब खुलासे सामने आ रहे हैं कि भाजपा की यह जीत “फर्जी वोटिंग पैटर्न” का नतीजा थी। द न्यूज मिनट की जांच के अनुसार 2019 से 2024 के बीच त्रिशूर में 1.46 लाख नए मतदाता जोड़े गए, जिनमें से 99% अब वहां मौजूद ही नहीं हैं। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों व खाली इमारतों के पते पर हजारों वोट बनाए गए। यहां तक कि सुरेश गोपी के ड्राइवर के पते पर ही दर्जनों वोट डाले गए।
इस “चमत्कारिक जीत” के बाद सुरेश गोपी को मंत्री बनाया गया, लेकिन तथ्य बताते हैं कि यह जीत जनमत की नहीं बल्कि धांधली की उपज है। यही वजह है कि विपक्ष का नारा— “वोट चोर, गद्दी छोड़”—अब और मजबूत हो रहा है।