भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पूरे भारतवर्ष में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। यह पर्व दस दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ सम्पन्न होता है। इस वर्ष भी घर-घर और पंडालों में गणपति बप्पा की प्रतिमाएँ स्थापित की जाएँगी।
🙏 धार्मिक और पौराणिक महत्व गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है।
गणेश जी को प्रथम पूज्य देव, विघ्नहर्ता और बुद्धि-विद्या के अधिष्ठाता माना जाता है किसी भी पूजा या कार्य की शुरुआत गणेश जी के नाम के बिना अधूरी मानी जाती है।
मान्यता है कि इस दिन गणपति की आराधना करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🪔 पूजा विधि और परंपरा
भक्त घरों में और सार्वजनिक पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं पूजा में दूर्वा, मोदक, लड्डू, नारियल, लाल फूल, चंदन और दीप का विशेष महत्व है प्रतिदिन सुबह-शाम आरती और मंत्रोच्चार के साथ गणपति की स्तुति की जाती है दसवें दिन जलाशयों और नदियों में प्रतिमाओं का विसर्जन कर “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” का जयघोष किया जाता है।
🌸 सामाजिक और सांस्कृतिक रंग महाराष्ट्र में यह पर्व सबसे बड़े स्तर पर मनाया जाता है लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता संग्राम के समय सामूहिक गणेशोत्सव की परंपरा शुरू की थी, जिसने समाज में एकता और जागरूकता का संदेश दिया देशभर में पंडालों में झाँकियाँ, भजन-कीर्तन, नृत्य-संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
🍲 गणपति का प्रिय भोग – मोदक गणेश जी को मोदक अति प्रिय है। मान्यता है कि मोदक अर्पित करने से भगवान गणपति शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
🐭 गणपति का स्वरूप और प्रतीक वाहन : मूषक (चूहा) प्रिय भोग : मोदक
स्वरूप : बड़ा मस्तक – बुद्धि का प्रतीक, छोटी आँखें गहन दृष्टि का प्रतीक, बड़ा कान – अधिक सुनने की क्षमता, छोटा मुख कम बोलने का संदेश।
🌍 गणेश चतुर्थी का वैश्विक विस्तार
आज यह पर्व केवल भारत तक सीमित नहीं रहा। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस और यूरोप में बसे भारतीय समुदाय भी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं।
👉 इस प्रकार, गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक उत्सव और आस्था का अद्भुत संगम है।