पलारी।अखंड ब्राह्मण समाज पलारी के तत्वावधान में विष्णु अवतार श्री भगवान परशुराम जी के पावन जन्मोत्सव पर क्षेत्र के समस्त ब्राह्मण समाज सह परिवार सहित मां गायत्री मंदिर पलारी में एकत्रित होकर विधि विधान पूजा अर्चना करके महिला व पुरुष सहित कलश शोभायात्रा निकालकर भगवान परशुराम जी की झांकी व कीर्तन भजन करते हुए परशुराम भगवान काजयकारा लगाते हुए नगर भ्रमण किया गया जिसमें नगर वासियों द्वारा स्वागत अभिनन्दन व पूजा अर्चन कर अपने परिवार की खुशहाली व नगर की सुख-समृद्धि की कामना की । नगर भ्रमण पश्चात गायत्री मंदिर में विशेष पूजा अर्चना करने के पश्चात समाज प्रमुखों द्वारा भगवान परशुराम की गाथा बतलाया गया जिसमें भगवान परशुराम छठवें अवतार थे वह महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। वे शस्त्रविद्या के महान गुरु थे। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। उन्होनें कर्ण को श्राप भी दिया था। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त “शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र” भी लिखा। इच्छित फल-प्रदाता परशुराम गायत्री है-“ॐ जामदग्न्याय च विद्महे महावीराय च धीमहि, तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।” वे पुरुषों के लिये आजीवन एक पत्नीव्रत के पक्षधर थे। उन्होंने अत्रि की पत्नी अनसूया, अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा व अपने प्रिय शिष्य अकृतवण के सहयोग से विराट नारी-जागृति-अभियान का संचालन भी किया था। अवशेष कार्यो में कल्कि अवतार होने पर उनका गुरुपद ग्रहण कर उन्हें शस्त्रविद्या प्रदान करना भी बताया गया है। समाज प्रमुखो द्वारा समाज के संगठन एकता के संदर्भ में बड़ा ही विस्तारपूर्वक बतलाया कि हम सब सभी एक साथ सभी मिलजुल कर कम करें सभी के सुख-दुख मैं हाथ बटाऐ सभी समाजिक कार्य उपस्थित होकर यथासंभव सहयोग करें जिससे हमारी समाज एकत्रित होकर बड़ा सा बड़ा कार्य हो सके इस अवसर पर
समाज प्रमुख पं श्याम शुक्ला , सुरेंद्र शर्मा, पूर्व विधायक प्रमोद शर्मा ,नगर पंचायत अध्यक्ष गोपी साहू , कांग्रेस पूर्व जिला अध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर ,विश्वहिंदू परिषद अभिषेक तिवारी, मनोज दुबे पलारी समाज प्रमुख उमाशंकर मिश्रा ,अनिरुद्ध मिश्रा,रमाशंकर मिश्रा,राहुल पांडेय दीपक तिवारी , धीरज मिश्रा , मुकेश झा , राजेश शर्मा,एवं यश प्रभा पांडेय महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष, श्वेता देवी पाण्डेय रोशनी शर्मा ज्योति ,ऊषा,कीर्ति ,सुमन ईश्वरी देवी ,प्रगति सुनीता शीला शुक्ला , प्रिती झा पुष्पा तिवारी निधी तिवारी निक्की तन्मय भेनु झा वेदांक तिवारी स्वाति रानू त्रिपाठी सुमीत तिवारी,
, चिरंजीव तिवारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ऋषभ चौबे शिवकुमार शर्मा रोशन चौबे शिवम् मिश्रा ,नीलकमल शर्मा दीनानाथ उपाध्याय , तोषन प्रसाद चौबे सहित समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।
