छत्तीसगढ़ी संस्कृति की गूंज: दीपावली पर छुरा नगर में सेन्दर गांव की बालिकाओं ने प्रस्तुत किया पारंपरिक सुवा नृत्य,

छत्तीसगढ़ी संस्कृति की गूंज: दीपावली पर छुरा नगर में सेन्दर गांव की बालिकाओं ने प्रस्तुत किया पारंपरिक सुवा नृत्य,

छुरा / गरियाबंद:- दीपों के पर्व दीपावली का उल्लास इस बार छुरा नगर में कुछ खास रहा। जहां दीपों की रौशनी और पटाखों की गूंज के बीच छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति की आत्मा भी पूरे शबाब पर नजर आई। फिंगेश्वर ब्लॉक के सेन्दर गांव की बालिकाएं, पारंपरिक वेशभूषा में सजकर, लोक परंपरा के अद्भुत रंग बिखेरते हुए सुवा नृत्य की प्रस्तुति देने छुरा नगर पहुंचीं।

सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करती एक पहल,

छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति में सुवा नृत्य का विशेष स्थान है, जो खासकर दीपावली के समय महिलाओं व बालिकाओं द्वारा समूह में किया जाता है। यह नृत्य न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि सामाजिक एकता, पारंपरिक लोकगीतों और ग्रामीण जीवनशैली की झलक भी प्रस्तुत करता है। सेन्दर गांव की बालिकाओं ने इस सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करते हुए, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सेन्दर से छुरा तक का समर्पणभरा सफर,

गौरतलब है कि सेन्दर गांव से छुरा नगर की दूरी साधारण नहीं है, लेकिन लोकसंस्कृति के प्रति समर्पण और अपनी कला को दिखाने अपनी लगन से इन बालिकाओं को यह दूरी तय करने के लिए प्रेरित किया। उनकी मेहनत और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था, जब उन्होंने तालबद्ध गीतों और चमत्कृत कर देने वाले नृत्य से पूरे नगर को लोकसंस्कृति के रंगों से भर दिया।

नगरवासीयों ने सराहा बालिकाओं का उत्साह,

स्थानीय नगर के नागरिकों ने बालिकाओं की प्रस्तुति की मुक्त कंठ से सराहना की। कई लोगों ने कहा कि ऐसे आयोजनों से छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को संरक्षण और विस्तार मिलता है, और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का अवसर प्राप्त होता है।

संस्कृति के रंगों से रोशन हुई दीपावली,

इस अवसर ने एक बार फिर यह साबित किया कि दीपावली केवल रोशनी और मिठाइयों का त्योहार नहीं, बल्कि हमारी परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों को संजोने का भी पर्व है। सेन्दर गांव की बेटियों ने छुरा की धरती पर लोकनृत्य के माध्यम से न केवल दीपावली की खुशी को दोगुना किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति की समृद्धि को भी दर्शाया।

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