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Constitution Club Election: निशिकांत दुबे ने बताया संजीव बालियान की हार को भी विजय, राजनीति में बना नया ट्रेंड

Constitution Club Election: दिल्ली के संविधान क्लब में हाल ही में हुए चुनाव में इस बार मुकाबला बीजेपी के डॉ. संजीव बालियान और राजीव रूडी के बीच था। चुनाव का नतीजा रविवार को घोषित हुआ, जिसमें राजीव रूडी ने बड़ी जीत हासिल की। इस जीत के बाद बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने संजीव बालियान की हार को भी जीत बताया, जिसे पार्टी और चुनाव की राजनीति में एक दिलचस्प पहलू माना जा रहा है।

निशिकांत दुबे ने दी खास प्रतिक्रिया

इस चुनाव के नतीजे पर निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया। उन्होंने राजीव रूडी को जीत की बधाई दी और संजीव बालियान की हार को भी एक विजय के रूप में पेश किया। दुबे ने लिखा कि मैं संसद क्लब चुनाव में संजीव बालियान जी के साथ था और हमेशा रहूंगा। इस चुनाव ने उनकी ताकत दिखाई और कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे और सोनिया गांधी के वोट देने आने से यह साबित हुआ कि बालियान जी की साख और सम्मान बना हुआ है।

Constitution Club Election: निशिकांत दुबे ने बताया संजीव बालियान की हार को भी विजय, राजनीति में बना नया ट्रेंड

हार में भी दिखी बालियान की जीत

निशिकांत दुबे ने आगे लिखा कि जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल ने 2005 और 2010 के चुनाव लड़े थे, तब सोनिया गांधी या उनके किसी कैबिनेट सदस्य ने वोट नहीं दिया था। इसलिए इस चुनाव में बालियान जी की हार में भी एक तरह से विजय नजर आई। उन्होंने बालियान को पार्लियामेंटरी क्लब की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बधाई दी और राजीव रूडी को जीत की शुभकामनाएं दी।

राजीव रूडी ने की जीत की पुष्टि

राजीव रूडी ने चुनाव जीतने के बाद कहा कि मैंने यह चुनाव 100 से अधिक वोटों के अंतर से जीता है। उन्होंने बताया कि यह जीत उनके पैनल की मेहनत का नतीजा है, जिसमें बीजेपी, कांग्रेस के अलावा अन्य राजनीतिक दलों और स्वतंत्र सांसदों ने भी समर्थन दिया। रूडी ने कहा कि इस जीत में सभी का योगदान रहा और यही इस चुनाव की खासियत है।

चुनाव में रिकॉर्ड वोटिंग और केंद्रीय मंत्रियों की भागीदारी

इस चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा सहित कई केंद्रीय मंत्री और सांसदों ने भी वोटिंग की। इस चुनाव में अब तक के सभी चुनावों के मुकाबले सबसे अधिक वोटिंग दर्ज की गई। इस चुनाव ने दिल्ली के संविधान क्लब में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ताकत को भी दर्शाया।

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