लाखों की लागत से बना सिस्टम निष्क्रिय, वन विभाग की लापरवाही उजागर
कोरिया, 27 अक्टूबर 2025/
गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व सोनहत में स्थापित हाईटेक नाका पिछले छह महीनों से निष्क्रिय पड़ा है। विभागीय उदासीनता और तकनीकी रखरखाव की कमी के चलते लाखों रुपये की लागत से तैयार यह सुरक्षा प्रणाली अब बेकार साबित हो रही है, जिससे वन सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
🔸 हाईटेक नाका क्या है और क्यों था जरूरी?
हाईटेक नाका आधुनिक वन सुरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसमें सर्विलांस कैमरे, सेंसर, डिजिटल एंट्री रजिस्टर और नंबर प्लेट स्कैनर जैसे उपकरण लगे होते हैं। इसका उद्देश्य टाइगर रिजर्व की सीमाओं में प्रवेश करने वाले वाहनों और व्यक्तियों की रियल टाइम मॉनिटरिंग करना था।
इस तकनीकी प्रणाली से वन्यजीवों की सुरक्षा, अवैध कटाई, शिकार और वन उत्पादों के अवैध परिवहन पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती थी। लेकिन अब जब यह नाका महीनों से बंद है, तो सुरक्षा व्यवस्था लगभग ठप हो गई है।
🔸 विभागीय लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हाईटेक नाका के उपकरण करीब छह महीने पहले तकनीकी रूप से खराब हुए थे, लेकिन अब तक उनकी मरम्मत नहीं कराई गई। पार्क परिक्षेत्र सोनहत के जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं कर रहे हैं।
स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यह नाका अब सिर्फ नाममात्र का सुरक्षा गेट बनकर रह गया है, जिससे रिजर्व की निगरानी पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
🔸 ग्रामीणों और पर्यावरणप्रेमियों की चिंता
रिजर्व के आसपास के ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विभाग की इस लापरवाही पर नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि लाखों रुपये खर्च कर स्थापित यह तकनीकी व्यवस्था अब “शोपीस” बनकर रह गई है।
एक ग्रामीण ने कहा – “अगर नाका बंद रहेगा तो पता ही नहीं चलेगा कि कौन आ-जा रहा है। कैमरे ही निगरानी की आँखें हैं, उनके बिना सुरक्षा अधूरी है।”
🔸 सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीर मामला
गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण वन्यजीव क्षेत्र है, जहां बाघ, तेंदुआ, भालू और दुर्लभ पक्षियों की उपस्थिति पाई जाती है। यह क्षेत्र पर्यावरणीय और पर्यटन दोनों दृष्टियों से संवेदनशील है।
विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी निगरानी तंत्र वन सुरक्षा की रीढ़ है। यदि यह प्रणाली निष्क्रिय रहती है तो पारंपरिक तरीकों पर निर्भरता बढ़ेगी, जिससे सुरक्षा की विश्वसनीयता घटेगी।
🔸 मांग – तुरंत हो सिस्टम की मरम्मत
पर्यावरण से जुड़े सामाजिक संगठनों ने वन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि हाईटेक नाके की मरम्मत कर इसे शीघ्र चालू किया जाए तथा रखरखाव के लिए स्थायी तकनीकी टीम गठित की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने।
