राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मंडल कसडोल का विजयादशमी उत्सव पथ संचलन भव्यता से संपन्न

कसडोल-: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मंडल कसडोल द्वारा विजयादशमी के पावन अवसर पर परंपरागत विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन का आयोजन अत्यंत उत्साह, अनुशासन और देशभक्ति के भाव के साथ किया गया। कार्यक्रम में नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए स्वयंसेवकों ने एकत्र होकर अनुशासित पंक्तियों में संचलन किया। स्थान-स्थान पर नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे डॉ. सुरेंद्र दिब्यकार (संचालक, आद्या हास्पिटल कसडोल) तथा मुख्य वक्ता रहे श्री नारायण नामदेव, सह प्रांत प्रचारक (छत्तीसगढ़)। इस अवसर अनेक गणमान्य नागरिक, स्वयंसेवक, मातृशक्ति एवं युवा वर्ग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

मुख्य वक्ता श्री नारायण नामदेव ने अपने विचारों में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज अपने शताब्दी वर्ष (100 वर्ष पूर्ण होने) की दिशा में कार्य कर रहा है। इस शताब्दी वर्ष के पूर्व संघ ने समाज जीवन में “पंच परिवर्तन” के माध्यम से अपने कार्य का विस्तार किया है, जिसके अंतर्गत

1️⃣ सामाजिक समरसता — समाज में भेदभाव मिटाकर एकता का भाव,

2️⃣ समर्थ कुटुंब प्रबंधन — सशक्त परिवार व्यवस्था का निर्माण,

3️⃣ पर्यावरण संरक्षण — वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और स्वच्छता का प्रचार,

4️⃣ स्वास्थ्य व सुबह का बोध — स्वस्थ दिनचर्या और योगाभ्यास का प्रसार,

5️⃣ स्वदेशी व नागरिक कर्तव्य — देशज उत्पादों के प्रयोग और नागरिक जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणाशामिल हैं।

उन्होंने कहा कि ये पांच परिवर्तन बिंदु समाज को संगठित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण हैं। संघ केवल शाखा तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन का माध्यम बन रहा है।

मुख्य अतिथि डॉ. सुरेंद्र दिब्यकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य अनुशासन, संगठन और राष्ट्र सेवा की भावना पर आधारित है। संघ के स्वयंसेवक न केवल शाखाओं में, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग में सेवा, शिक्षा और संस्कार के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।

इस अवसर पर संघगीत, प्रार्थना एवं अतिथियों का सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम में नगर के स्वयंसेवकों के अतिरिक्त आसपास के ग्रामों से भी बड़ी संख्या में शाखा प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।

कार्यक्रम के पूर्व पथ संचलन निकाला गया, जो नगर के प्रमुख मार्गों — चौक होते हुए सभा स्थल तक पहुंचा। पथ संचलन के दौरान बाल स्वयंसेवकों की पंक्तियाँ, घोष दल की लयबद्ध ध्वनि और तिरंगा ध्वज के साथ अनुशासित चलना लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा था। मार्ग में नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया।

 

विजयादशमी उत्सव के समापन पर सभी स्वयंसेवकों ने राष्ट्रभक्ति की शपथ ली कि वे संघ के शताब्दी वर्ष के संकल्पों को समाज में क्रियान्वित करने हेतु सक्रिय रहेंगे।

सह संपादक

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