सीजेआई पर हमले की कोशिश से देश में आक्रोश, बार काउंसिल ने वकील को किया निलंबित

नई दिल्ली -:  7 अक्टूबर 2025 सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक हैरान करने वाली घटना हुई जब एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने उसे उसी वक्त रोक लिया जब उसने अपने स्पोर्ट्स शूज़ उतारने शुरू किए।

अमित आनंद चौधरी की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई गवई पूरी तरह शांत और संयमित रहे और अदालती कार्यवाही बिना बाधा के जारी रखी। उन्होंने वकीलों से कहा, “विचलित न हों।”

हमलावर वकील राकेश किशोर को सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल काबू में कर लिया। उसे बाहर ले जाते समय वह चिल्लाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।”

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने राकेश किशोर का लाइसेंस निलंबित कर दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा – यह हर भारतीय का अपमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर गहरा आक्रोश जताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “जस्टिस गवई जी से बात की। उन पर हुए हमले ने हर भारतीय को नाराज़ किया है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है।” पीएम ने सीजेआई द्वारा दिखाए गए धैर्य की भी सराहना की।

दिल्ली पुलिस: कोई शिकायत नहीं, सत्यापन के बाद रिहा

दिल्ली पुलिस ने बताया कि राकेश किशोर के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई और सत्यापन के बाद उसे रिहा कर दिया गया। कई लोगों ने उसके नारे को हाल ही में सीजेआई द्वारा भगवान विष्णु को लेकर सोशल मीडिया पर गलत तरीके से जोड़ी गई टिप्पणियों से जोड़कर देखा।

सीजेआई गवई ने बाद में स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी कभी नहीं की।

बार काउंसिल का आदेश – लाइसेंस निलंबित, कारण बताओ नोटिस जारी बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा। निलंबन की अवधि में आपको किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या प्राधिकरण में पेश होने या वकालत करने से वंचित किया जाता है। आपको 15 दिनों के भीतर यह बताना होगा कि यह कार्रवाई क्यों न जारी रखी जाए।

सभी दलों ने की घटना की निंदा,

कांग्रेस, भाजपा, वाम दल, डीएमके, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने घटना की कड़ी निंदा की।

एससीबीए: न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने कहा कि यह घटना “न्यायिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला” है।

एससीबीए ने कहा,

यह शिष्टाचार और अनुशासन के संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है और न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास को कमजोर करता है। ऐसा आचरण महान कानूनी पेशे के लिए अपमानजनक है।

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की प्रतिक्रिया इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अटॉर्नी जनरल को इस घटना को “धर्मनिरपेक्ष अदालत पर वैचारिक हमला” मानते हुए अदालत की अवमानना की कार्रवाई करनी चाहिए।

एससीएओआरए: दुर्भावनापूर्ण व्यवहार अस्वीकार्य सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने भी घटना की निंदा की। संघ के सचिव निखिल जैन ने बयान जारी करते हुए कहा, किसी भी बैठे हुए न्यायाधीश के खिलाफ व्यक्तिगत या दुर्भावनापूर्ण इशारा न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला है। यह न केवल कायरतापूर्ण कृत्य है, बल्कि कानूनी पेशे की गरिमा के खिलाफ भी है।

सह संपादक

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