बलौदाबाजार-: 4 सितम्बर 2025/भारत सरकार द्वारा तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ाने हेतु नेशनल मिशन ऑन एडीबल ऑयल पाम संचालित किया जा रहा है। ऑयल पाम खेती के फायदे को देखते हुए जिले के किसान भी इस खेती में रूचि ले रहे हैं। अब तक विकासखंड सिमगा के ग्राम जरौद में 2 हेक्टेयर एवं भाटापारा के ग्राम बिजराडीह में 6 हेक्टेयर कुल 8 हेक्टेयर क्षेत्र में ऑयल पाम पौधों का रोपण पूरा कर लिया गया है।
योजना के तहत कृषकों को अनुदान- योजना के तहत कृषकों को प्रति हेक्टेयर 143 आयल पाम पौधे अनुदान राशि रू. 29000 रूपए, प्रथम वर्ष से चतुर्थ वर्ष तक पौधो के रखरखाव, थाला बनाने उर्वरक एवं खाद इत्यादि हेतु अधिकतम रू. 5250 प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर के अतिरिक्त अधिकतम राशि रू. 2625 प्रति हेक्टेयर की सहायता राशि टॉप-अप के रूप में राज्य शासन द्वारा प्रदान किया जायेगा। प्रथम वर्ष से चतुर्थ वर्ष तक ऑयल पॉम के पौधों के बीच अंतरवर्ती फसल लेने हेतु के अतिरिक्त प्रति हेक्टेयर अधिकतम राशि रू. 22375 का अनुदान राज्य शासन द्वारा प्रदान किया जायेगा। न्यूनतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र में ऑयल पॉम फसल की खेती करने वाले कृषक को सिंचाई साधन के 1 बोरवेल हेतु राशि रू. 50000 के अतिरिक्त प्रति हेक्टेयर अधिकतम राशि रू. 25000 प्रति यूनिट का अनुदार प्रदान किया जायेगा। पम्पसेट हेतु 2 हे. क्षेत्र में राशि रू. 27000 के अतिरिक्त प्रति हे. 16500 एवं फेसिंग हेतु सीमेंट पोल एवं चैनलिंक पर प्रति हे. रू. 108970 तथा ड्रिप प्रतिस्थापन हेतु प्रति हे. राशि रू. 14130 के अतिरिक्त टाप अप के रूप में राशि रू. 8635 का अनुदान प्रदान किया जाता है।
ऑयल पॉम खेती के फायदे-ऑयल पॉम की खेती से वार्षिक उत्पादन प्रति एकड़ 10 से 12 टन उत्पादन होता है एवं न्यूनतम मजदूर की आवश्यकता होती है। ऑयल पॉम पौधे में बीमारी होने की संभावना कम होती है अतः दवाई पर होने वाले खर्च कम है। दलालों से छुटकारा। अनुबंधित कंपनी द्वारा क्रय किया जायेगा। ऑयल पॉम की खेती किसी भी प्रकार की भूमि पर किया जा सकता है, जो पूर्णतः सिंचिंत हो। ऑयल पॉम की खेती हेतु अनुमानित लागत प्रति हेक्टेयर पहले 4 वर्षो में रू. 25000 से 30000 रू. प्रति वर्ष (भूमि की तैयारी, पौधरोपण, सिंचाई खाद इत्यादि) आता है। 4 से 6 वर्ष में प्रति हेक्टेयर खरीदी मूल्य रू. 18351 प्रति टन के आधार पर राशि रू. 70000 से रू. 270000 तक अनुमानित आय प्राप्त होता है। ऑयल पॉम की खेती में आंधी तुफान असमय व अतिवृष्टि से नुकसान की संभावना बहुत कम है। ऑयल पॉम का उपयोग खाद्य तेल के साथ साथ कास्मेटिक्स एवं अन्य उत्पादों में किया जाता है। इसके अतिरिक्त फसल उत्पादन खरीदी हेतु संग्रहण केन्द्र की सुविधा भी शासन द्वारा दी जा रही है।
जिले के सभी विकास खण्डों में ऑयल पॉम का रोपण का कार्य प्रगतिरत है। इसके संबंध में अधिक जानकारी के लिये शेखर जायसवाल, मोबाईल नंबर-8103998548 पर संपर्क कर सकते है।
Bahut sunder karya
“खेती में आधुनिकता जरूरी है,