Supreme Court ने भारतीय सेना के जज एडवोकेट जनरल (JAG) कॉर्प्स में महिलाओं के आरक्षण को लेकर बड़ी व्याख्या की है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस नीति को रद्द कर दिया है, जिसमें पुरुषों के लिए 6 और महिलाओं के लिए 3 पद आरक्षित किए गए थे। न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने स्पष्ट कहा कि आरक्षण केवल पुरुषों के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता। यह आरक्षण नीति मनमानी है और समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने कहा कि भर्ती के नाम पर इस तरह की लिंग आधारित आरक्षण प्रणाली को मंजूरी नहीं दी जा सकती।
पुरुषों के लिए आरक्षित पदों की नीति को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2:1 के अनुपात में पुरुष और महिला अधिकारियों के लिए आरक्षण नीति को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भर्ती के दौरान पुरुषों या महिलाओं के लिए पद आरक्षित नहीं किए जा सकते। न्यायाधीश मनमोहन और न्यायाधीश दिपंकर दत्ता की पीठ ने कहा कि “कार्यपालिका पुरुषों के लिए पद आरक्षित नहीं कर सकती। 6 पद पुरुषों के लिए और 3 पद महिलाओं के लिए आरक्षित करना मनमाना है और इसे भर्ती के बहाने अनुमति नहीं दी जा सकती।” कोर्ट ने इस नीति को समानता के अधिकार का उल्लंघन माना है।
केंद्र सरकार को संयुक्त मेरिट लिस्ट बनाने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी उम्मीदवारों—पुरुष और महिला—की संयुक्त मेरिट लिस्ट जारी करे। कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया इस तरह हो कि किसी भी लिंग के लिए पदों का अलग-अलग आरक्षण न हो। यदि सभी महिला उम्मीदवार योग्य हैं, तो सभी को भर्ती किया जाना चाहिए। यह आदेश समान अवसर और लिंग तटस्थता की नींव पर आधारित है। कोर्ट के इस फैसले से सेना की पिछली आरक्षण नीति को चुनौती मिली है।
सेना की नीति का सुप्रीम कोर्ट ने किया खंडन
भारतीय सेना की उस नीति को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया, जिसमें JAG कॉर्प्स में महिलाओं के लिए सीमित पद आरक्षित किए गए थे। कोर्ट ने कहा कि यह नीति संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है। कोर्ट का कहना है कि वास्तविक लिंग तटस्थता का मतलब यही है कि भर्ती में योग्यता के आधार पर सभी उम्मीदवारों को मौका दिया जाए, न कि लिंग के आधार पर पदों को बांटा जाए। इस फैसले से सेना में महिलाओं की भर्ती के रास्ते और भी सुगम होंगे।
योग्य उम्मीदवारों का चयन ही सर्वोपरि
सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि भर्ती का एकमात्र मापदंड उम्मीदवार की योग्यता होनी चाहिए। चाहे वह पुरुष हो या महिला, सभी योग्य उम्मीदवारों को समान अवसर मिले। केंद्र सरकार और सेना को निर्देश दिया गया है कि वे इस नए नियम के तहत JAG कॉर्प्स की भर्ती करें। यह फैसला महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत है और भारतीय सेना में लैंगिक समानता की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।