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15 दिवसीय सीखना-सिखाना केन्द्र का समापन।

15 दिवसीय सीखना-सिखाना केन्द्र का समापन।

बलौदा बाजार। जिले के कसडोल विकासखंड के प्राथमिक शाला मालीडीह में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से 15 दिवसीय सीखना सिखाना केन्द्र (समर कैम्प ) का आयोजन किया गया। बता दे कि बच्चे मजेदारी के साथ सीखे ,सीखने के लिए उपयुक्त माहौल मिले । जिससे शिक्षक और बच्चे मिलकर समस्या का समाधान निकाल सके। हर दिन एकदम नयापन मिले तो बच्चे सीखने के लिए तैयार होते हैं।
कुछ ऐसा ही माहौल 15 दिवसीय सीखना सिखाना केन्द्र प्राथमिक शाला मालीडीह, संकुल केन्द्र कोसमसरा, विकास खण्ड कसडोल, जिला बलौदा बाजार में देखने मिला।
शासकीय प्राथमिक शाला मालीडीह के तीन शिक्षक और 65 बच्चे ने मिलकर कर दिखाये कि नियमित रूप से किसी कार्य को किया जाए तो परिणाम तत्काल देखने मिलेगा ।
तीनो शिक्षक ने आज मान लिया कि 15 दिन पहले हिन्दी एक वाक्य बोलने इतनी परेशानी हो रही थी वह समापन में दो कहानी का रोल प्ले और परिचय बताने में स्पष्ट रूप से बिना किसी डर के फर्राटे से बोलते देखने मिला।
प्रतिदिन नई कहानी, बाल गीत, भाषा की दुनिया में मौखिक भाषा, ध्वनि व अक्षर की पहचान, पढना और लिखने में भी अपने अनुभव को ही शामिल करना था । जिन्हे बच्चे अपने बनाई गई किताब में स्पष्ट रूप एक पहले उसे चित्र में प्रदर्शित करके उसके बारे में लिखते थे। इस तरह बच्चों की किताब उनकी अपनी बनाई व लिखी सामग्री से तैयार हुई। इस दौरान शिक्षक अपने दैनिक कार्य को करते हुए ही कर पा रहे थे। संस्था प्रधानपाठक शकुंतला बताती हैं कि 1अप्रैल से सीखना सिखाना केंद्र समर कैंप करना है यह समस्त स्टॉफ और शाला प्रबंधन समिति का साझा निर्णय से तय किया गया। अजीम प्रेमजी फॉउंडेशन कसडोल के द्वारा प्रस्ताव रखा गया कि परीक्षा संपन्न होने के बाद बच्चों को नियमित रूप योजना बद्ध ढंग से कुछ सीखने सिखाने का मौका दिया जाय। जिससे आने वाले बच्चों में बदलाव को तत्काल देखा जा सकता हैं। यह तरीका मुझे अच्छा लगा इसलिए संस्थान के रिसोर्स पर्सन नरेन्द्र जी को प्लान समझाने आमंत्रित की। जिसे टीम के साथ मिलकर समझे ।हमारी एक दिन का इसे लेकर उन्मुखीकरण भी हुआ । जिसमे अन्य संकुल के शिक्षक भी स्वेच्छा से इस कर्य योजना को समझने के उद्देश्य से आये थे।
शिक्षक संतोष और शशिकला ने कहा कि इस दौरान बहुत से नई गतिविधि सीखने मिला । हर दिन घर से बनाकर लाने के परियोजना कार्य दिया जाता था जिसे बच्चे बड़े रुचि से करके लाते थे और उन्हे सबके सामने प्रस्तुत भी करते थे। इसके बाद उन सभी समग्री को प्रदर्शनी कक्ष बनाये थे वहां व्यवस्थित रूप से प्रदर्शित भी करते जाते थे। 9 समुह में बांटकर 9 बच्चों को लीडर बनाये थे । जो हर दिन अपने ग्रुप उपस्थति से लेकर प्रदर्शन करने तक में मदद करते थे। शुरुआत में और अंतिम दिन में स्तर की जाँच की गई और प्रत्येक बच्चे का स्तर को समझने का अवसर था। संस्था के तीनो शिक्षक मानते हैं कि बहुत से बच्चों को अब सत्र शुरुआत में ही जिनकी पहचान हुई है उनको फोकस करके उसी समस्या पर पहले काम किया जायेगा।
हिंदी भाषा और गणित की बुनियादी कौशल को फोकस करते हुए यह कार्य बहुत सरल व सहज था । इस दौरान बच्चों ने अपने पसंद से घोंसला,अंडा, चिड़िया बनाकर लाये ,तराजू बाट बनाकर लाये जिसे नकली नोट के साथ बाजार की गतिविधि से जोड़कर एक दिन रियल मार्केट का आयोजन किया गया।
जुगाड़ से वाहन बनाये,कहानी सुनाना उसे रोल प्ले में बदलना, बाल गीत व अभिनय, चित्रकारी,स्थानीय मान ,दस का बंडल बनाना आदि सीखे।
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के नरेन्द्र बताए कि सीखने सिखाने का अनुकूल माहौल, बिना किसी भय के बच्चों के मिलजुल कर सीखने का मजा अद्भुत होता हैं। इन बच्चों के साथ तीनो शिक्षकों ने हर पल साथ दिये। उन्होंने माना कि हमारे स्कूल के नही सिखने वाले बच्चे भी गतिविधि से जुड़कर बहुत अच्छा से एक प्रक्रिया को बहुत शिद्दत के साथ किये। उम्मीद है बच्चों की वास्तविक समस्या की पहचान हुई हैं, उसी पर फोकस करने से काम हो जाएगा।
उक्त सीखना सिखाना केंद्र के समापन अवसर पर पालक व समिति के 14 सदस्य शामिल हुए। आंगनबाड़ी के 11 बच्चे, माध्यमिक शाला के 8 बच्चे व 2 शिक्षक शामिल रहे।
समापन कार्यक्रम में शिक्षक संतोष व शकुंतला मेडम ने मंच संचालन किये। इस दौरान शशिकला मैडम के निर्देशन में बच्चों ने लोक गीतों पर मोहक नृत्य किये।
जनवरी से प्रकाशित विद्यालय की मासिक बाल अखबार चहक के मार्च व अप्रैल अंक का विमोचन बच्चों व समुदाय सदस्यों द्वारा किया गया।
अंत में साक्षात्कार की गतिविधि में शिक्षक,पालक व बच्चों को शामिल किया गया। सबने क्रमशः प्रदर्शनी का अवलोकन किया ।
अंत में आभार प्रगट करते हुए प्रधान पाठक शकुंतला ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन आभार जताया और आगे अपने संस्था के ऐसे कार्यक्रम करने के इच्छा जाहिर की।

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