मनरेगा को भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार बंद करना चाह रही-प्रमोद साहू

बया -: मनरेगा को लागू हुए को 20 वर्ष पूरे हो गये प्रतिनिधि बया मंडल अध्यक्ष प्रमोद साहू ने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार ने मनरेगा के रूप में रोजगार को कानूनी गारंटी दिया था लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा की साय सरकार मनरेगा को बंद करने की साजिश कर रही है। प्रदेश के 70 प्रतिशत से अधिक गांव में मनरेगा के काम बंद है। प्रदेश का गरीब आदमी को भाजपा सरकार क़े द्वारा रोजगार देना नहीं चाहती है। ग्रामीण मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट है, लोग पलायन के लिए मजबूर है। हम सरकार से यह मांग है कि बताएं कि प्रदेश में कितने स्थान पर मनरेगा का काम चल रहा है? विगत 20 माह में प्रदेश में मनरेगा के तहत दिए गए रोजगार की सूची जारी करे। प्रमोद कुमार साहू ने कहा कि मोदी सरकार मनरेगा को बंद करना चाहती है। मोदी सरकार के 11 सालों में मनरेगा को पर्याप्त बजट नहीं दिया। हर साल मनरेगा के बजट में 30 से 35 प्रतिशत की कटौती की गयी है। पिछले 11 वर्षों में मनरेगा की मजदूरी में न्यूनतम वृद्धि है, जिसके कारण मजदूर वर्ग की आय स्थिर हो गयी है तथा महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। साहू ने आगे कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में लगभग 18 करोड़ कार्य दिवस हर साल सृजित किए जाते थे, भाजपा की सरकार आने के बाद से इस महत्वपूर्ण योजना पर ग्रहण लग गया है। यूपीए की मनमोहन सरकार के दौरान ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को हर साल 100 दिन का गारंटेड रोजगार प्रदान किया जाता था, इसमें सड़क निर्माण, तालाब और कुएं की खुदाई जल संरक्षण और सूखा राहत जैसे सार्वजनिक कार्य शामिल किए जाते थे यदि आवेदक को 15 दिन के भीतर काम उपलब्ध नहीं कर पाए तो व्यक्ति मजदूरी के भुगतान का पात्र माना जाता था, लेकिन भाजपा की सरकार आने के बाद से हितग्राहियों को ना काम मिल रहा है, ना भुगतान।

प्रमोद साहू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सदैव गरीब, मजदूर, किसान और नौजवान क़े हितों को ध्यान में रखती है और हम मांग करते है कि मनरेगा के बजट में जरूरी वृद्धि की जाए और समय पर मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करने की नीति का कड़ाई से पालन हो। मनरेगा की न्यूनतम 400 रूपये प्रतिदिन तय की जाए ताकि वास्तविक आय में वृद्धि हो सके साथ हीं भविष्य में मजदूरी दर तय करने के लिए एक स्थायी समिति का गठन हो।

सह संपादक

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