
पलारी-: बलौदाबाजार 10 अक्टूबर 2025 (रात 8:30 बजे जनपद पंचायत पलारी के अंतर्गत आने वाली लटेरा ग्राम पंचायत से ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे छत्तीसगढ़ में हड़कंप मचा दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत स्वीकृत एक आवास लटेरा के किसी पात्र ग्रामीण को नहीं, बल्कि संडी मुड़पार पंचायत निवासी अरुण साहू के नाम पर स्वीकृत कर निर्मित कराया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मामला है, जहां किसी अन्य पंचायत के व्यक्ति को फर्जी तरीके से लाभ दिया गया है।

पात्रों को बाहर, बाहरी को लाभ: मिलीभगत का बड़ा खेल
ग्रामीणों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से पात्रता सूची में भारी हेराफेरी की गई। वास्तविक गरीबों और मजदूर परिवारों के नाम सूची से हटाकर फर्जी नाम जोड़े गए। यह घटना न केवल ग्रामीणों के हक़ पर चोट है, बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी गंभीर सवाल खड़ा करती है।
शिकायतकर्ताओं में दिलेश्वर यादव, कमल नारायण साहू, कामदेव यादव, घनश्याम निषाद और बीनाराम निषाद शामिल हैं। इन सभी ने लिखित शिकायत जनपद पंचायत पलारी, जिला बलौदाबाजार में दी है। उनका आरोप है कि आवास योजना का लाभ पाने वाला व्यक्ति न तो लटेरा पंचायत की मतदाता सूची में शामिल है, न जनगणना सूची में, और न ही उसके पूर्वज कभी इस गांव में रहे हैं।
कमल नारायण साहू ने स्पष्ट किया, “यह छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मामला है, जिसमें किसी दूसरे पंचायत के व्यक्ति के नाम पर आवास स्वीकृत कर बनाया गया है। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि मिलीभगत का बड़ा उदाहरण है।”
गरीबों का आक्रोश: रिकवरी कराओ, न्याय दिलाओ
ग्रामीणों का कहना है कि जिन लोगों के पास आज तक न घर है, न ज़मीन, न पक्का छत – वे आज भी आवास योजना की आस लगाए बैठे हैं। वहीं दूसरी ओर, एक बाहरी व्यक्ति को योजना का लाभ देकर असली गरीबों के सपनों पर कुठाराघात किया गया है।
बीनाराम निषाद ने न्याय की मांग करते हुए कहा, “इसमें जो भी जिम्मेदार हैं, उनसे रिकवरी की जानी चाहिए। गरीबों के हक़ का पैसा वापस लिया जाए, तभी न्याय होगा।”
जांच रिपोर्ट पर सवाल: क्या जानबूझकर दबाई जा रही है?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रशासन की एक टीम कुछ हफ्ते पहले जांच के लिए लटेरा पंचायत पहुंची थी, लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है। इससे ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ गया है। उनका कहना है कि रिपोर्ट जानबूझकर दबाई जा रही है ताकि दोषियों पर कार्रवाई न हो सके।
गांव के मजदूर वर्ग के लोग बेहद व्यथित हैं। उनका सीधा सवाल है: “हमारे नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में नहीं आए, लेकिन जिनका न घर है, न द्वार, न पहचान – उन्हें लाभ मिल गया। अब बताइए, यह न्याय है या अन्याय?”
कलेक्टर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग, धरना प्रदर्शन की चेतावनी
ग्रामीणों ने पत्रकारों की टीम से संपर्क कर पूरे मामले की जानकारी साझा की और कलेक्टर बलौदाबाजार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि प्रशासन अगर जांच रिपोर्ट को सामने नहीं लाता, तो वे सामूहिक रूप से धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि यह मामला सिर्फ एक पंचायत तक सीमित नहीं रह सकता। अगर इस घटना की पारदर्शी जांच नहीं हुई, तो यह संकेत होगा कि योजना स्तर पर व्यवस्थित भ्रष्टाचार हो रहा है।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:
पात्रों की नई और त्रुटिरहित सूची तैयार की जाए।
फर्जी नामों की उच्च-स्तरीय जांच हो।
दोषियों से आवास राशि की तत्काल रिकवरी कराई जाए और कड़ी कानूनी कार्रवाई के साथ दंड दी जाय।
असली गरीब परिवारों को प्राथमिकता से आवास स्वीकृत किया जाए।
अब देखना यह होगा कि छत्तीसगढ़ सरकार और जिला प्रशासन इस “अनोखी लेकिन गंभीर” घटना को कितनी गंभीरता से लेते हैं।
ग्रामीणों का सीधा संदेश है –
“सरकार कितनी भी चुप रहे, पर हमारा सवाल रहेगा — आखिर गरीबों का हक़ कौन खा गया?
लोगों को मिलकर आगे आना होगा 🙌