सह-संपादक
खरोरा से महज़ 7 किलोमीटर दूर परसदा(क) गांव हर साल विजयादशमी से एक दिन पहले रामलीला की रंगीन झांकी से सराबोर हो उठता है। आदर्श रामलीला मंडली पिछले **70 वर्षों से इस परंपरा को संजोए हुए है।
मंडली के अध्यक्ष संदीप साहू बताते हैं कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि गाँव की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की मिसाल भी है। मंच पर जब श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान और रावण जैसे पात्र जीवंत होते हैं, तो पूरा गाँव भक्ति और उमंग से झूम उठता है।
गाँव के ही कलाकार हर किरदार निभाते हैं – चंद्रकुमार साहू राम का, नरेश साहू लक्ष्मण का, सेवक साहू रावण का, खेलावन साहू हनुमान का, भुनेश्वर साहू सीता का और संदीप साहू खुद कुंभकर्ण बनकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। यही नहीं, गाँव के बुज़ुर्ग और युवा मिलकर मंचन, पर्दा संचालन से लेकर हास्य-व्यंग्य तक का पूरा रंगारंग माहौल तैयार करते हैं।
हर शाम बजरंग चौक पर जुटने वाली भीड़ सिर्फ एक नाटक देखने नहीं आती, बल्कि भगवान राम के जीवन से सत्य और धर्म की सीख लेकर लौटती है।
इस साल भी परंपरा के अनुसार 1 अक्टूबर को दशहरा मैदान में 30 फिट ऊँचे रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। तब तक गाँव में रामलीला का जादू छाया रहेगा।
✍️ रिपोर्ट – रोहित वर्मा
Bahut hi jabardast prastuti karykram Ravan ko jalane ke liye aur unka Ramji ke Pura Jivan Charitra ko dekhte hue Ramleela ka bahut Sundar Bhavya pradarshan Kiya gaya hai