
जिला ब्यूरो चीफ तोषन प्रसाद चौबे
सलौनी ग्राम पंचायत, जो पलारी जनपद पंचायत के अंतर्गत आती है, इन दिनों प्रशासनिक और सामाजिक समस्याओं के चलते सुर्खियों में है। हाल ही में कांजी हाउस में गाय की मौत का वीडियो वायरल हुआ, जिससे पूरे गांव में तनाव और नाराजगी फैल गई। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत में गौठान और गौशाला की कोई ठोस और व्यवस्थित व्यवस्था नहीं है, जिससे मवेशियों की सुरक्षा पर गंभीर संकट है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्षों से पंचायत और प्रशासन की अनदेखी के कारण मवेशियों के लिए सुरक्षित स्थान की व्यवस्था नहीं की गई, जिससे जानवरों की मौत जैसी घटनाएं भी होती रहती हैं।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि श्मशान घाट और आंगनबाड़ी भवन जैसी मूलभूत सुविधाओं के निर्माण के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण दशकों से इन सुविधाओं का निर्माण नहीं हो सका। श्मशान घाट के लिए जमीन न होने के कारण अंतिम संस्कार जैसी जरूरी सामाजिक और धार्मिक व्यवस्थाओं में कठिनाई आती रही है। कई बार लोगों को पड़ोसी गांवों या दूरस्थ स्थानों में शव संस्कार के लिए जाना पड़ा, जिससे धार्मिक और सामाजिक असुविधा बढ़ी।
इसी तरह, दशकों से अटकी आंगनबाड़ी भवन की भूमि अब आखिरकार स्वीकृत हुई है, लेकिन यह भी जगह की कमी और अव्यवस्था के कारण देर से संभव हो पाया। ग्रामीणों ने कहा कि बच्चों और महिलाओं के लिए आवश्यक सुविधाओं के लिए लंबित भूमि और जगह की कमी ने उनकी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रभावित की।
नहर किनारे रोका-छेंका योजना के तहत पंचायत ने फसल और गायों दोनों के संरक्षण के लिए तारघेरा लगाया था, ताकि मवेशी फसल न नुकसान पहुँचाएं और सुरक्षित रहें। लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने इस तारघेरे को तोड़ दिया। इसके कारण न केवल पंचायत की व्यवस्था बाधित हुई बल्कि ग्रामीणों में भारी नाराजगी और असंतोष फैल गया। स्थानीय किसान और पशुपालक इस घटना से आहत हैं और उनका कहना है कि उनका समय, मेहनत और पैसा दोनों ही बर्बाद हो गया। कई बार मवेशियों के सुरक्षित रहन-सहन और फसल के नुकसान से बचाने की कोशिशें असफल रही हैं, जिससे गांव में सुरक्षा और विश्वास दोनों पर संकट खड़ा हो गया है।
सरपंच बंशी बंजारे ने गंभीर रूप से बताया कि गांव के 10-12 साल के बच्चे तक शराब के नशे की लत में हैं, और यह स्थिति ग्रामीण समाज के लिए चिंता का विषय बन गई है। उनके अनुसार, घरों में घुसकर मारपीट, चाकू-छुरी चलाना और झगड़े आम हो गए हैं। यह सीधे सामाजिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के संकट को उजागर करता है।

शराबबंदी लागू करने के बाद सरपंच को असामाजिक तत्वों द्वारा जान से मारने की धमकी भी मिली। सरपंच का कहना है कि यह केवल व्यक्तिगत खतरा नहीं है, बल्कि पूरे पंचायत क्षेत्र में कानून-व्यवस्था और विकास कार्यों के लिए गंभीर चुनौती है। उन्होंने कलेक्टर को लिखित शिकायत दी और सुरक्षा की मांग की।
ग्रामीणों का कहना है कि जगह न होने के कारण श्मशान घाट और आंगनबाड़ी भवन जैसी मूलभूत सुविधाओं का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा, तारघेरा तोड़ने, बच्चों में शराब की लत और बढ़ती हिंसा जैसी घटनाओं ने प्रशासन की अव्यवस्था को और उजागर किया है। अब सवाल यह है कि मंत्री, विधायक और जिला प्रशासन इन गंभीर मुद्दों पर कितनी सक्रियता दिखाते हैं और क्या वे समय रहते स्थायी समाधान करेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि सलौनी जैसी पंचायतों में सामाजिक हिंसा, बच्चों में शराब की आदत और मूलभूत सुविधाओं की कमी मिलकर व्यापक सामाजिक और आर्थिक संकट पैदा कर सकती हैं। उन्होंने चेताया कि अगर प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व सक्रिय नहीं हुआ, तो छोटे विवाद भी बड़े संकट का रूप ले सकते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि केवल लिखित शिकायतों और अनुरोधों से काम नहीं चलेगा, बल्कि ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्थायी समाधान तभी संभव है जब पर्याप्त जगह उपलब्ध कराई जाए, सामाजिक जागरूकता बढ़ाई जाए और प्रशासनिक निगरानी सुनिश्चित की जाए।
सलौनी पंचायत का यह पूरा घटनाक्रम प्रशासनिक लापरवाही, अव्यवस्था, जगह की कमी और बढ़ती सामाजिक हिंसा जैसी समस्याओं का उदाहरण है। ग्रामीण अब सक्रिय कार्रवाई, स्थायी समाधान और सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद लगाए हुए हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन और विरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
इस पूरे विवाद के बीच अब सवाल यह भी है कि मंत्री और विधायक इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाते हैं। ग्रामीणों और स्थानीय सूत्रों का कहना है कि वर्षों से पंचायत में मूलभूत सुविधाओं की कमी और सामाजिक सुरक्षा की समस्या रही है, लेकिन क्षेत्रीय नेतृत्व और प्रशासन इन मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे। ग्रामीण अब सीधे मंत्री, विधायक और जिला प्रशासन से जवाबदेही की उम्मीद लगाए हुए हैं कि क्या वे सक्रिय होकर ग्रामीणों की समस्याओं का स्थायी समाधान करेंगे और पंचायत में सुरक्षा, विकास और कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।
सलौनी ग्राम पंचायत का यह पूरा घटनाक्रम अब केवल गांव की समस्या नहीं रह गया है। यह सामाजिक, प्रशासनिक और सुरक्षा से जुड़े ज्वलंत मुद्दों का उदाहरण बन चुका है। ग्रामीणों की मांग है कि न केवल कानूनी कार्रवाई हो, बल्कि स्थायी समाधान और प्रशासनिक निगरानी सुनिश्चित की जाए। वे पूछ रहे हैं कि क्या मंत्री और विधायक समय रहते समस्याओं का समाधान करेंगे, क्या सरपंच की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और क्या सलौनी में अव्यवस्थाओं पर नियंत्रण लाया जाएगा।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते समाधान नहीं किया गया, तो आंदोलन और विरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सलौनी का यह मामला प्रशासनिक लापरवाही, अव्यवस्था और सुरक्षा संकट की सच्चाई को उजागर करता है। इसके अलावा यह पूरे क्षेत्र की प्रशासनिक कार्यप्रणाली और राजनीतिक नेतृत्व की संवेदनशीलता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
स्थानीय नागरिक और समाजसेवी कह रहे हैं कि इस मामले में मंत्री और विधायक सक्रियता दिखाएँ, ताकि ग्रामीणों का विश्वास बहाल हो और भविष्य में किसी भी प्रकार की सामाजिक अशांति या हिंसा को रोका जा सके। प्रशासन को चाहिए कि वह न केवल सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करे बल्कि गांव की मूलभूत समस्याओं—जैसे गौठान, श्मशान घाट, आंगनबाड़ी और सामाजिक सुरक्षा—का भी स्थायी समाधान करें।
सलौनी का यह पूरा घटनाक्रम अन्य पंचायतों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी चेतावनी बन गया है कि अव्यवस्था, प्रशासनिक लापरवाही और सामाजिक सुरक्षा संकट को अनदेखा करना भविष्य में बड़े विवाद और हिंसा को जन्म दे सकता है। ग्रामीणों की निगाहें अब मंत्री, विधायक और जिला प्रशासन पर टिकी हैं कि वे कब तक और कितनी गंभीरता से इस मामले को सुलझाते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक नेतृत्व की परीक्षा है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो न केवल सलौनी बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी सामाजिक तनाव और अव्यवस्था बढ़ सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत में सुधार, सुरक्षा और मूलभूत सुविधाओं का स्थायी समाधान तभी संभव है जब मंत्री, विधायक और प्रशासन सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करें और सुनिश्चित करें कि पंचायत क्षेत्र में कानून, व्यवस्था और विकास कार्य प्रभावी ढंग से लागू हों।
सलौनी पंचायत का यह पूरा घटनाक्रम स्पष्ट करता है कि स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व की संवेदनशीलता ही किसी भी क्षेत्र की स्थिरता और विकास की कुंजी है। ग्रामीण अब सक्रिय कार्रवाई, स्थायी समाधान और सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद लगाए हुए हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते समाधान नहीं किया गया, तो आंदोलन और विरोध की स्थिति पैदा हो सकती है।
बहुत-बहुत sampadak Ji ko dhanyvad jo ek jagrukta ki liye aise news ko hamare pass rakhe hain to dhanyvad karte hain aur logon Ko dhanyvad karte Hain Jo aise ke liye kadam uthate Hain बहुत-बहुत badhai toshan bhai ko
सरकार और प्रशासन को तुरंत कदम उठाने चाहिए “