रायपुर। शासकीय जे योगानंदम छत्तीसगढ़ स्वाशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं डॉ राधाबाई शासकीय नवीन कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में अर्थशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया था।जिसके मुख्य वक्ता डॉ के बी दास,पूर्व कुलपति फकीर मोहन विश्वविद्यालय उड़िसा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का सीधा संबंध प्रकृति से हैं।इसमें कृत्रिम के लिए कोई स्थान नहीं है। पाश्चात्य संस्कृति ने हम पर शासन किया,इसलिए हमने बनावटी जीवन को अंगीकार कर लिया है।भारतीय ज्ञान परंपरा संपूर्ण विश्व को एक नई दिशा दे सकती है।स्कूलों और विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान-विज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।भारतीय ज्ञान-विज्ञान पर ज़्यादा से ज़्यादा शोध किए जाने चाहिए।भारतीय ज्ञान-विज्ञान पर केंद्रित संस्थानों की स्थापना करनी चाहिए।भारतीय ज्ञान-विज्ञान को दुनिया के दूसरे देशों के साथ साझा करना चाहिए।प्राचीन ग्रंथों में छिपे ज्ञान को खोजा जाना चाहिए और उसे संवारा जाना चाहिए।इन ग्रंथों पर शोध करके भारत को उसकी मूल पहचान से जोड़ना चाहिए।शासकीय जे योगानंदम छत्तीसगढ़ स्वाशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर के प्राचार्य डॉ तपेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा में आनंद और अनुभव को केंद्र में रखकर टेक्नोलॉजी बनाई गई है।भारतीय ज्ञान परंपरा में सामाजिक व्यवस्था और नीति का भी समावेश है।भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरुकुल प्रणाली के ज़रिए अध्ययन-अध्यापन होता था।कार्यक्रम में उपस्थित डॉ आर के ब्रम्हे, अध्यक्ष सामाजिक विज्ञान अध्ययनशाला पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर ने विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आयोजित होने वाली केपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक, उपनिषद, बौद्ध, और जैन काल की शिक्षा व्यवस्था और विश्वविद्यालयों का ज़िक्र मिलता है।यह परंपरा,भाषा,दर्शन, लोक,मूर्तिकला,कला,साहित्य, संगीत,नृत्य,वास्तुकला,कृषि, पशुपालन,बागवानी, और दस्तकारी जैसे कई क्षेत्रों में फैली हुई है।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती को पुष्प अर्पित एवं दीप जलाकर किया गया।डॉ विनोद कुमार जोशी, विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग डॉ राधाबाई शासकीय नवीन कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय ने अतिथि परिचय देते हुए कार्यक्रम आयोजन का उद्देश्य बताया।इस अवसर पर डॉ राधाबाई शासकीय नवीन कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ प्रीति मिश्रा ने मुख्य वक्ता एवं अन्य उपस्थित अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।डॉ के के बिंदल, विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग शासकीय जे योगानंदम छत्तीसगढ़ स्वाशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर ने आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम सफल आयोजन में डॉ पूर्णिमा मिश्रा, डॉ दीपशिखा मिंझ, डॉ सी एस ओझा एवं डॉ श्रद्धा मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।इस अवसर महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ प्राध्यापक,सहायक प्राध्यापक, अतिथि व्याख्याता,ग्रंथपाल, क्रिडाधिकारी,कार्यालयीन अधिकारी एवं कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।
