डिग्गी में दरिंदगी! इंसानियत हुई शर्मसार

इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना 30 से अधिक गौमाताओं को पैरों में तार कसकर बांधा – हड्डियाँ तक बाहर आईं, घावों में कीड़े पड़े – पंचायत और प्रशासन मौन।

बलौदाबाजार-: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले की ग्राम पंचायत डिग्गी से एक ऐसी हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने न केवल पूरे गांव बल्कि पूरे प्रदेश की संवेदनाओं को झकझोर दिया है। यहां लगभग 30 से 35 गौमाताओं को बेरहमी से पैरों में मोटी लोहे की तारें कसकर बांध दी गईं। इससे उनके पैरों की चमड़ी और मांस फट गए, हड्डियाँ तक बाहर निकल आईं और खुले घावों में कीड़े पड़ गए। गांव का हर संवेदनशील इंसान यह दृश्य देखकर सहम जाए, लेकिन विडंबना यह है कि यह अमानवीय कृत्य कई दिनों तक चलता रहा और न पंचायत जागी, न प्रशासन।

 

दर्द से कराहती रहीं गौमाताएं।

गांव के लोगों ने बताया कि गौमाताएं कई दिनों तक दर्द से कराहती रहीं। तार कसने की वजह से वे ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थीं। कई गायें जमीन पर गिरकर तड़पती रहीं, मगर उनके इलाज या देखभाल की कोई व्यवस्था नहीं की गई।ग्रामीणों का कहना है कि वे इस स्थिति को देखकर आहत थे, लेकिन पंचायत और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता ने उन्हें निराश कर दिया।

 

पंचायत सचिव ने झाड़ा पल्ला।

जब मामला बजरंग दल के कार्यकर्ताओं तक पहुंचा तो वे तुरंत गांव पहुंचे। वहां का मंजर देखकर उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने ग्राम पंचायत सचिव से सवाल किया, लेकिन सचिव ने जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया और इस घटना से खुद को अलग बताते हुए पल्ला झाड़ लिया। पंचायत की यह बेरुखी ग्रामीणों के आक्रोश का कारण बन गई।

कानून और प्रशासन पर बड़े सवाल।

छत्तीसगढ़ सरकार ने गौमाताओं की सुरक्षा के लिए गौ संरक्षण अधिनियम और कई योजनाएं बनाई हैं। करोड़ों रुपये हर साल गौशालाओं और पशु चिकित्सा सेवाओं पर खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद डिग्गी जैसी घटनाएं बताती हैं कि कानून और योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं।

अब तक न तो पशु चिकित्सा विभाग मौके पर पहुंचा और न ही घायलों का समुचित इलाज हो पाया। यह स्थिति प्रशासन और जिम्मेदार विभागों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

बजरंग दल की चेतावनी

घटना की जानकारी मिलने के बाद बजरंग दल ने इस मामले को गंभीरता से उठाया। कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि,यदि दोषियों को जल्द चिन्हित कर उन पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई,और घायल गौमाताओं के इलाज की व्यवस्था तुरंत नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे।

समाज की संवेदनहीनता

यह घटना केवल पशु क्रूरता का मामला नहीं है, बल्कि समाज की संवेदनहीनता का काला सच भी सामने लाती है। जिन गौमाताओं को पूजनीय मानकर “मां” कहा जाता है, वही आज लहूलुहान और दर्द से कराहती पड़ी रहीं। दुखद यह है कि पूरा गांव देखते हुए भी चुप रहा।

विशेषज्ञों की राय

पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह के गहरे घावों का तुरंत इलाज जरूरी है, वरना गायों में संक्रमण (इंफेक्शन) फैल सकता है और उनकी जान भी जा सकती है।

कानून विशेषज्ञों के अनुसार यह मामला सीधे तौर पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और छत्तीसगढ़ गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 का उल्लंघन है, जिसके तहत दोषियों को कठोर सजा हो सकती है।

अब सवाल यह है कि –

क्या प्रशासन जागकर घायल गौमाताओं का इलाज कराएगा? क्या दोषियों पर कानूनी कार्रवाई होगी? या यह घटना भी कुछ दिनों बाद कागजों और फाइलों में दबकर रह जाएगी?

निष्कर्ष

डिग्गी की कराहती गौमाताएं आज पूरे समाज से न्याय की गुहार लगा रही हैं। यह घटना केवल स्थानीय स्तर की नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश और देश की मानवता पर प्रश्नचिह्न है। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह संवेदनहीनता आने वाली पीढ़ियों के लिए एक शर्मनाक मिसाल बनकर रह जाएगी।

सह संपादक

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2 thoughts on “डिग्गी में दरिंदगी! इंसानियत हुई शर्मसार”

  1. ऐसे हादसे फिर न हों, इसके लिए ठोस कार्रवाई ज़रूरी है ✊”

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