सोशल एक्टिविस्ट तरुण खटकर की कलम से……
छत्तीसगढ़-: बलौदा बाजार दशहरा मैदान की यह तस्वीर सिर्फ एक साधारण धरना-प्रदर्शन की नहीं है, बल्कि यह तस्वीर छत्तीसगढ़ NHM स्वास्थ कर्मियों की है जिनके हाथों में आम गरीब मरीजों के जीवन की डोर होती है वो खुद के जिन्दगी के लिए मजबूर है।
बलौदाबाजार जिला मुख्यालय सहित प्रदेश के सभी 33 जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के कर्मचारी अपनी 10 सुत्रीय मांगों को लेकर तपती गर्मी और बिजली तड़कती बरसात में 30 दिनों से धरने पर बैठे हैं।
ये वही स्वस्थ कर्मी है, जिन्होंने कोरोना काल में अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना, लाखों जिंदगियों को संभाला था।
जब हम सब घरों में दुबके थे, तब ये कोरोना योद्धा अस्पतालों में हमारे लिए ढाल बनकर खड़े थे।
ये वही स्वास्थ कर्मी है जो दुरस्त दुर्गम ग्रामीण इलाकों में गरीबो के स्वास्थ योद्धा है।
आज वही योद्धा अपने अधिकारों के लिए सड़क पर हैं। क्या यही उनके निस्वार्थ सेवा का प्रतिफल है?
सरकार को संवेदनशीलता से सोचना चाहिए स्वास्थ्यकर्मियों की मांगें कोई विलासिता नहीं, बल्कि जीवन की मूलभूत आवश्यकता हैं। वर्षों तक अस्थायी कर्मचारी के रूप में काम करने की पीड़ा केवल वही समझ सकते हैं, जिन्हें हर दिन नौकरी खोने का डर सताता है। नियमितीकरण की उनकी मांग सिर्फ एक नौकरी की गारंटी नहीं है, बल्कि यह उनके परिवार के लिए एक स्थिर भविष्य, बच्चों की बेहतर शिक्षा और जीवन की अनिश्चितता से मुक्ति की चाह है।उनका कम वेतन और सीमित लाभ उन्हें इस महंगाई के दौर में एक सम्मानजनक जीवन जीने से रोकता है।एक गांव का स्वास्थ्य उसके नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है, और नागरिकों का स्वास्थ्य उसके स्वास्थ्यकर्मियों के मनोबल पर निर्भर करता है। अगर ये ही हताश और निराश होंगे, तो हम एक स्वस्थ … गांव की कल्पना कैसे कर सकते हैं?
यह स्थिति न केवल NHM कर्मचारियों के मनोबल को गिरा रही बल्कि इसका सीधा असर सरकारी अस्पतालों के मरीजों की स्वास्थ के देखभाल पर भी पढ़ रहा है।
इसलिए सरकार को स्वास्थ क्षेत्रों में कार्यरत NHM कर्मचारियों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए।क्योंकि यह आवाज सिर्फ बलौदा बाजार की ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के 33 जिलों के उन 16 हजार स्वास्थ्यकर्मियों की है, जिनका भविष्य अंधकारमय है।
जो अपनी 10 सुत्रीय मांग…
संविलियन , नियमितीकरण।
अनुकंपा नियुक्ति।
वेतन वृद्धि।
ग्रेड पे निर्धारण।
पब्लिक हेल्थ केयर की स्थापना।
CR सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी।
रेगुलर भर्ती में सीटों का आरक्षण।
मेडिकल और अन्य लिव की सुविधा।
ट्रांसफर सुविधा।
10 लाख का कैश लेश मेडिकल इंश्योरेंस।
के लिए सरकार से संवैधानिक तरीके से लड़ रहे हैं।सरकार को यह समझना होगा कि इन कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करना उनकी जिम्मेदारी है।आज इनके साथ खड़ा होना मेरा सिर्फ एक समर्थन नही है, बल्कि एक नैतिक दायित्व भी है।आइए, हम सब प्रदेशवासी इनकी मांगों का समर्थन करें, क्योंकि वे सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी लड़ रहे हैं।