छेरकापुर सहकारी समिति का बड़ा घोटाला: किसान अश्वनी साहू बोले – “सरकार ने मुझे आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया, समिति में अन्य किसानों से भी 18-20 लाख से ज्यादा की हेराफेरी ”


छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के पलारी विकासखंड के ग्राम पंचायत छेरकापुर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने पूरे इलाके में हलचल मचा दी है। यहां की सहकारी समिति, जो किसानों की मदद और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए बनी थी, अब किसानों की मेहनत की कमाई लूटने का केंद्र बन चुकी है। किसान अश्वनी साहू ने मीडिया के सामने फूट-फूटकर बताया कि समिति के प्रबंधक और ऑपरेटर ने पैसों के लेन-देन में खुली हेराफेरी की है और लगातार परेशान करने के चलते उन्हें आत्महत्या तक के लिए मजबूर कर दिया गया।

अश्वनी साहू ने कहा, “मेरी मेहनत की कमाई लूट ली गई। मेरे साथ तो हुआ ही, लेकिन ऐसे और कितने किसानों का हेराफेरी किया गया? सरकार ने मुझे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया। मैंने आवेदन कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक दिया, लेकिन अब तक किसी भी स्तर से संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई। मैं आरोपियों पर FIR चाहता हूँ।” उनका दर्द और रोष मीडिया के सामने स्पष्ट था, और उनकी आंखों में आंसू उनके संघर्ष की गवाही दे रहे थे।

स्थानीय नागरिक ओमप्रकाश फेकर ने खुलासा किया कि समिति में लगभग 18-20 लाख रुपये से ज्यादा की हेराफेरी हुई है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक या दो किसानों का मामला नहीं है, बल्कि दर्जनों किसानों के खातों में पैसों की गड़बड़ी की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पूरी जांच की जाए तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

इस घोटाले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वही ऑपरेटर जो इस हेराफेरी का मुख्य आरोपी है, पहले भी गंभीर मामलों में जेल जा चुका है, बावजूद इसके आज भी पदस्थ है और खुलेआम किसानों की मेहनत की कमाई पर कब्जा जमा रहा है। ग्रामीण सवाल कर रहे हैं कि प्रशासन ने ऐसे व्यक्ति को दोबारा जिम्मेदारी क्यों दी। यह सीधे-सीधे प्रशासन की लापरवाही और संभावित मिलीभगत पर सवाल उठाता है।

गांव और आसपास के क्षेत्र में किसानों और ग्रामीणों का गुस्सा अब उबाल पर है। लोग कहते हैं कि यह केवल अश्वनी साहू की व्यक्तिगत पीड़ा नहीं है, बल्कि पूरे इलाके के किसानों का विश्वास हिल चुका है। यदि समय रहते जांच और कार्रवाई नहीं हुई, तो यह घोटाला और बड़ा रूप ले सकता है और किसानों के बीच रोष फैल सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से चली आ रही यह हेराफेरी केवल कुछ व्यक्तियों की मिलीभगत से संभव नहीं हो सकती। इसमें प्रशासन की चुप्पी और कमज़ोरी भी शामिल है।

शासन और प्रशासन पर सीधे सवाल उठ रहे हैं। जब शिकायतें कलेक्टर और मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी हैं, तब FIR क्यों नहीं हुई? पहले से जेल जा चुका ऑपरेटर अभी भी पद पर क्यों है? करोड़ों रुपये के लेन-देन वाली समितियों में 18-20 लाख की हेराफेरी कैसे संभव हुई? किसानों की मेहनत की कमाई की सुरक्षा में प्रशासन क्यों विफल रहा? क्या सरकार किसानों की सुरक्षा और न्याय को प्राथमिकता देती है या केवल कागजों पर आश्वासन देती है?

किसान और ग्रामीणों की मांग साफ है – आरोपियों पर तुरंत FIR दर्ज की जाए, प्रबंधक और ऑपरेटर को पद से हटाया जाए, प्रभावित किसानों के खातों की पूरी जांच कर उनके पैसे वापस दिलाए जाएं, और पूरे मामले की उच्च स्तरीय और पारदर्शी जांच कराई जाए।

छेरकापुर का यह मामला अब सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं रहा। यह पूरे प्रदेश की सहकारी समितियों और शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। जब किसान मीडिया के सामने सरकार पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगा रहे हैं, तो यह केवल व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता का बड़ा प्रमाण है।

अब यह मामला सिर्फ घोटाले का नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत, उनकी सुरक्षा और न्याय की मांग बन चुका है। सवाल साफ है – क्या छत्तीसगढ़ सरकार और प्रशासन किसानों की मेहनत की कमाई लौटाने और दोषियों को सख्त सजा देने के लिए तुरंत कदम उठाएगा, या फिर यह घोटाला भी दबा दिया जाएगा?

सह संपादक

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  1. Aise officeron aur operatoron ko barkhast kar dena chahie naukari se hata Dena chahie taki aam Kisan bhai log pareshan Na Ho बहुत-बहुत dhanyvad sampadak Ji ko aise nahin uske liye

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