पीएम आवास की राशि ग्राम समिति को दान में दे कर दिखाया दरियादिली,

पीएम आवास की राशि ग्राम समिति को दान में दे कर दिखाया दरियादिली,

जनपद पंचायत छुरा की मानिटरिंग एवं जियो टेकिंग सवालों के घेरे में,,

छुरा/ गरियाबंद :- सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों को राहत देना है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का मकसद कच्चे घरों में रहने वाले ग्रामीण परिवारों को पक्का मकान दिलाना है, वहीं खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन कार्ड सिर्फ पात्र परिवारों को मिलना चाहिए। लेकिन छुरा विकासखंड की ग्राम पंचायत रसेला में इन दोनों योजनाओं का लाभ ऐसे व्यक्ति को मिल गया, जो खुद नगर पंचायत छुरा का निवासी है।

मामला है बसंत सेन पिता हेमलाल सेन का, जो छुरा नगर पंचायत वार्ड क्रमांक 04 में अपने परिवार के साथ रहते हैं और ग्राम पंचायत रसेला में केवल मेडिकल दुकान संचालित करते हैं। सरकारी वेबसाइट और रिकॉर्ड बताते हैं कि उनके नाम से आवास योजना स्वीकृत हुई, किस्तें जारी हुईं और राशन कार्ड भी बना। सवाल यह है कि आखिर पंचायत ने किस आधार पर नगर निवासी को ग्रामीण योजनाओं का लाभ दिया ? जनपद पंचायत प्रभारी सीईओ सतीष चन्द्रवंशी की कार्यप्रणाली अपरिपक्वता का परिचायक है शासकीय योजनाओं लीपापोती,पग पग में भ्रष्टाचार जो जांच का विषय है ।

वेबसाइट पर दर्ज है पूरा खेल,

प्रधानमंत्री आवास योजना की आधिकारिक वेबसाइट की जांच से यह पूरा मामला सामने आया। वेबसाइट पर स्पष्ट उल्लेख है :

* लाभार्थी का नाम : बसंत सेन पिता हेमलाल सेन
* पता : छुरा नगर (ग्राम पंचायत रसेला में मेडिकल दुकान संचालित)
* स्वीकृति की तारीख : 16/04/2025
* योजना : प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
* किस्तें : दो किस्तें जारी, कुल 95,000 रुपए

वेबसाइट पर दिखाया गया है कि मकान निर्माण प्रगति पर है। लेकिन जब वास्तविक स्थिति देखी गई तो पता चला कि रसेला पंचायत में बसंत सेन के नाम से कहीं भी मकान निर्माण नहीं हुआ है।

हितग्राही बसंत सेन पिता हेमलाल सेन निवासी नगर पंचायत छुरा, का कहना है – “मेरे पास ग्राम रसेला में न आबादी भूमि है न लगानी भूमि मेरा निवास छुरा नगर में हे मै ग्राम रसेला में मेडिकल स्टोर्स का संचालन करता हूं , पंचायत वाले बताया कि तुम्हारे नाम पर पीएम आवास स्वीकृत हुआ है, तुम्हारे पास जमीन नहीं है नहीं बनाओगे तो पैसा लेप्स हो जायेगा , पैसा निकाल कर ग्राम समिति को दे दो सामुदायिक भवन के लिए मैंने पैसा निकाल कर समिति के लोगों को दे दिया ”

 

आवास मित्र का गोलमाल जवाब,

ग्राम पंचायत रसेला के आवास मित्र मूलचंद से इस मामले में पूछताछ की गई तो उन्होंने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा – बसंत सेन के नाम से आवास स्वीकृति और किस्तों की राशि मेरे ज्वाइनिंग से पहले ही जारी कर दी गई थी। मुझे इस विषय में कोई जानकारी नहीं है।”

लेकिन यह बयान वेबसाइट पर दर्ज जानकारी से मेल नहीं खाता। वेबसाइट के अनुसार स्वीकृति की तारीख 16 अप्रैल 2025 है, जबकि मूलचंद का दावा है कि यह सब उनके कार्यभार संभालने से पहले हुआ। सवाल यह है कि जब स्वीकृति की तारीख खुद 2025 की है, तो आवास मित्र का बयान किस हद तक सच है?

 

राशन कार्ड भी जारी,

मामला यहीं खत्म नहीं होता। जांच में यह भी सामने आया कि बसंत सेन और उनके परिवार के नाम से राशन कार्ड भी जारी किया गया है।
जबकि वास्तविकता यह है कि उनका परिवार नगर पंचायत छुरा वार्ड क्रमांक 04 का निवासी है और वहां स्थायी रूप से रहता है।

रसेला पंचायत में वे केवल मेडिकल दुकान संचालित करते हैं। फिर भी पंचायत ने उन्हें राशन कार्ड जारी कर दिया। यह बड़ा सवाल खड़ा करता है कि पंचायत ने किन आधारों पर नगर निवासी को ग्रामीण योजना का लाभ दिया?

 

उठते हैं कई गंभीर सवाल,

इस पूरे मामले से कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं,

. जब बसंत सेन नगर पंचायत छुरा वार्ड क्रमांक 04 के निवासी हैं, तो ग्राम पंचायत रसेला ने उन्हें ग्रामीण आवास योजना और राशन कार्ड का लाभ कैसे दे दिया?

. आवास योजना की वेबसाइट पर 16/04/2025 को दर्ज स्वीकृति की तारीख और आवास मित्र का बयान आपस में विरोधाभासी क्यों है?

. सत्यापन और जांच की प्रक्रिया में इतनी बड़ी गड़बड़ी आखिर कहां हुई? क्या पंचायत स्तर पर? या ब्लॉक स्तर पर भी मिलीभगत है?

. क्या यह महज लापरवाही है या फिर सुनियोजित फर्जीवाड़ा, जिसके तहत नगर निवासी को पात्र बनाकर योजनाओं का लाभ दिलाया गया?

 

प्रशासन पर उठ रहे सवाल,

प्रधानमंत्री आवास योजना और राशन कार्ड दोनों योजनाओं में कई स्तर पर सत्यापन और अनुमोदन की प्रक्रिया होती है। पंचायत सचिव, सरपंच, आवास मित्र, फिर ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि सही लाभार्थी का चयन हो।

लेकिन इस मामले में जब नगर निवासी के नाम पर योजना स्वीकृत हो गई और राशि तक जारी कर दी गई, तो यह साफ है कि सिस्टम की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा होता है।

यदि योजनाओं का लाभ इस तरह से नगर के निवासियों को दे दिया जाएगा तो वास्तविक ग्रामीण गरीब परिवारों तक यह योजना कभी नहीं पहुंचेगी।

योजनाओं का उद्देश्य और जमीनी हकीकत,

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लक्ष्य है कि 2022 तक (अब 2025 तक बढ़ी हुई समयसीमा में) हर गरीब परिवार को पक्का मकान मिले। पात्रता स्पष्ट है – केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवार इस योजना का लाभ ले सकते हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत जारी होने वाले राशन कार्ड का उद्देश्य है पात्र परिवारों को रियायती दर पर खाद्यान्न देना। इसमें भी पात्रता स्पष्ट है – लाभार्थी का नाम पंचायत या नगर की सूची में दर्ज होना चाहिए।

लेकिन इस मामले में दोनों योजनाओं का लाभ एक ही नगर निवासी को दिया गया।
प्रभारी सीईओ जनपद पंचायत छुरा :- सतीश चन्द्रवंशी का कथन,  जांच करवा कर बताता हूं ।

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