भोपाल-: मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आए हजारों किसान और आदिवासी बुधवार को राजधानी भोपाल में दिन भर डटे रहे और खेती की बर्बादी, जबरन बेदखली, और कॉर्पोरेट अधिग्रहण के खिलाफ अपना तीखा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे और संघर्ष जारी रखेंगे।
यह विशाल धरना-प्रदर्शन मध्यप्रदेश किसान सभा और मध्यप्रदेश आदिवासी एकता महासभा के बैनर तले आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपकर अपनी 15 सूत्रीय मांगों को सामने रखा।
मुख्य मांगें: जमीन और किसान हित सर्वोपरि
धरने में मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण और बेदखली का मुद्दा छाया रहा। किसान नेताओं ने मांग की कि परियोजनाओं के नाम पर अनावश्यक भूमि अधिग्रहण तुरंत रोका जाए, और जहां भी जरूरी हो, अधिग्रहण केंद्रीय कानून 2013 के प्रावधानों के तहत ही किया जाए।
जमीन का कॉर्पोरेटीकरण बंद हो: किसानों ने मांग की कि जंगलों, पहाड़ों की भूमि को निजी कॉरपोरेट कंपनियों को न सौंपा जाए।
पट्टे की मांग: पीढ़ियों से शासकीय भूमि पर काबिज भूमिहीन किसानों, अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को कृषि भूमि के पट्टे दिए जाएं, और वनाधिकार कानून 2006 के तहत आदिवासियों को कृषि और आवास के पट्टे दिए जाएं।
आवासहीन परिवारों को पट्टे: नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे आवासहीन परिवारों को आवास के पट्टे दिए जाएं और बेदखली की कार्रवाई रोकी जाए।
खेती-किसानी और बिजली के मुद्दे
प्रदर्शनकारियों ने अतिवृष्टि से फसलों को हुए नुकसान का तत्काल मुआवजा सर्वे कराकर देने की मांग की। इसके अलावा, आवारा पशुओं की समस्या का समाधान करने और सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटीड खरीदी के लिए कानून बनाने की मांग भी प्रमुखता से उठाई गई।
खाद की उपलब्धता: खाद वितरण केंद्र और स्टॉक बढ़ाकर डीएपी तथा यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
बिजली के बिल माफ हों: किसानों ने बिजली के निजीकरण और स्मार्ट मीटर लगाने की कार्रवाई को रोकने, पुराने लंबित विद्युत बिलों को माफ करने और बिजली की दरें कम करने की मांग की।
नेतृत्व और संघर्ष की चेतावनी
धरना सभा की अध्यक्षता मप्र किसान सभा के अध्यक्ष अशोक तिवारी और मप्र आदिवासी एकता महासभा के अध्यक्ष बुद्धसेन सिंह गोंड ने की। सभा का संचालन मप्र किसान सभा के महासचिव अखिलेश यादव ने किया।
मुख्य वक्ता अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों को खेती की बर्बादी के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने चेतावनी दी कि बड़े लोगों के मुनाफे के लिए किसान-किसानी को बर्बाद करने की कोशिशों के खिलाफ संघर्ष को तेज किया जाएगा। सभा को कुल 42 वक्ताओं ने संबोधित किया।
प्रशासन ने नहीं दी जुलूस की अनुमति
किसान नेताओं ने बताया कि भोपाल प्रशासन ने प्रदर्शन की अनुमति देने में आनाकानी की और रात 12 बजे केवल सभा करने की सशर्त अनुमति दी गई। जुलूस निकालकर प्रदर्शन करना प्रतिबंधित कर दिया गया था। मुख्यमंत्री को सौंपा जाने वाला ज्ञापन भी प्रशासनिक अधिकारियों ने सभास्थल पर ही स्वीकार कर लिया।
Kishan bhaiyon ka bahut sundar Sahyog
लोगों को मिलकर आगे आना होगा 🙌