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रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में देशभर के सामने रचा गया चिकित्सा इतिहास, लेजर तकनीक से हुई जटिल एंजियोप्लास्टी का जीवंत प्रसारण

रिपोर्टर टेकराम कोसले

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय (मेकाहारा) ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि चिकित्सा के क्षेत्र में सरकारी संस्थान भी निजी अस्पतालों से पीछे नहीं हैं। यहाँ के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में देश का एक ऐतिहासिक ऑपरेशन हुआ, जिसे लेजर कट एंजियोप्लास्टी के रूप में जाना जा रहा है। इस ऑपरेशन का देशभर में लाइव प्रसारण किया गया, जिसे भारत के सैकड़ों कार्डियोलॉजिस्ट्स ने वर्चुअली देखा और चिकित्सा तकनीक की बारीकियों को समझा।

ऑपरेशन की विशेषता:

यह जटिल सर्जरी एक 70 वर्षीय मरीज पर की गई थी, जिसकी धमनियों में अत्यधिक कैल्शियम जमा हो गया था। मरीज की हालत इतनी गंभीर थी कि निजी अस्पतालों में की गई एंजियोप्लास्टी की कोशिश असफल हो गई थी। मरीज की राइट कोरोनरी आर्टरी में न केवल ब्लॉकेज था, बल्कि उसकी उत्पत्ति सामान्य स्थान से ऊपर थी, जिससे यह मामला और अधिक जटिल हो गया था।

ACI की टीम ने निर्णय लिया कि इस मामले में पारंपरिक बैलून एंजियोप्लास्टी पर्याप्त नहीं होगी। इसलिए ‘एक्साइमर लेजर कोरोनरी एंजियोप्लास्टी (ELCA)’ तकनीक का उपयोग किया गया।

प्रक्रिया का विवरण:

सबसे पहले मरीज की दाहिनी कलाई की धमनी से एक कैथेटर को दिल की नस तक पहुँचाया गया।

अत्यधिक कठोर और वजनी तारों की मदद से अवरोधित नस को पार किया गया।

फिर लेजर तकनीक के जरिए कैल्शियम की मोटी परत को धीरे-धीरे तोड़ा गया ताकि बैलून आगे बढ़ सके।

इसके बाद अत्याधुनिक कोरोनरी इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासोनोग्राफी (IVUS) तकनीक से नस के अंदर की सोनोग्राफी की गई, जिससे बची हुई रुकावटों को देखा गया।

विशेष कटिंग बैलून की सहायता से अवरोध को इस प्रकार काटा गया जैसे कोई मशीन चट्टान काटकर सुरंग बनाती हो।

अंततः दो स्टेंट डालकर नस को पूरी तरह से खोल दिया गया और मरीज को नई ज़िंदगी मिली।

देशभर में सराहना:

इस ऑपरेशन का लाइव प्रसारण जबलपुर में आयोजित कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की कार्यशाला में किया गया। वर्चुअल माध्यम से जुड़कर देशभर के विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट्स ने इस अद्भुत तकनीक को देखा और अपनी जिज्ञासाओं को ACI की टीम से साझा किया।

नेतृत्व और टीम:

इस ऐतिहासिक प्रक्रिया का नेतृत्व डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने किया। उनके साथ डॉ. कुणाल ओस्तवाल, डॉ. एस. के. शर्मा, डॉ. प्रतीक गुप्ता, नर्सिंग स्टाफ (नीलिमा, वंदना, निर्मला, पूर्णिमा), टेक्नीशियन (जितेन्द्र, बद्री, प्रेम) और मेडिकल सोशल वर्कर खोगेन्द्र साहू का विशेष योगदान रहा।

मरीज का उपचार छत्तीसगढ़ शासन की “मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना” के अंतर्गत निःशुल्क किया गया, जिससे यह सामाजिक कल्याण की दिशा में भी एक प्रेरक उदाहरण बना।

निष्कर्ष:
यह सफलता न केवल मेकाहारा की उपलब्धि है, बल्कि छत्तीसगढ़ और पूरे देश के लिए यह एक गौरव का विषय है कि उच्चतम चिकित्सा तकनीक अब सरकारी संस्थानों में भी सुलभ है। यह भविष्य में ऐसे कई गंभीर हृदय रोगियों के लिए आशा की किरण बनकर उभरेगा।

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