रिपोर्टर टेकराम कोसले
Masb news
बलौदाबाजार, 23 जुलाई 2025/
जिले के स्वास्थ्य ढांचे में निरंतर सुधार के क्रम में बलौदाबाजार का जिला अस्पताल उन मरीजों के लिए आशा की किरण बनकर उभरा है, जो सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया जैसी जटिल और दीर्घकालिक आनुवांशिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। इन रोगों के इलाज में जहां अक्सर महंगे रक्त उपचार और चिकित्सा उपकरणों की आवश्यकता होती है, वहीं जिला अस्पताल ने इन सभी सुविधाओं को पूर्णतः नि:शुल्क उपलब्ध कराकर अनेक परिवारों को आर्थिक और मानसिक राहत दी है।
ब्लड बैंक बना जीवन रेखा
बलौदाबाजार जिला अस्पताल का ब्लड बैंक सिकल सेल और थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए जीवनदायिनी सेवा दे रहा है। इन बीमारियों में समय-समय पर खून चढ़ाना अनिवार्य होता है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश कुमार अवस्थी ने बताया कि ब्लड बैंक के माध्यम से ऐसे मरीजों को आवश्यकतानुसार नि:शुल्क रक्त प्रदान किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, अस्पताल द्वारा मरीजों को विशेष ब्लड फिल्टर भी नि:शुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो रक्त चढ़ाने से पहले उसमें मौजूद अवांछित तत्वों को छानकर संक्रमण या अन्य जटिलताओं की आशंका को कम करते हैं। बाजार में एक फिल्टर की कीमत लगभग ₹1500 होती है, और ऐसे दो फिल्टर प्रति माह प्रत्येक मरीज को दिए जा रहे हैं।
14 पंजीकृत मरीज ले रहे हैं लाभ
वर्तमान में जिला अस्पताल में 14 ऐसे मरीजों को नियमित रूप से यह सुविधा दी जा रही है, जो सिकल सेल या थैलेसीमिया से ग्रसित हैं। यह संख्या उन परिवारों की है, जिनके लिए हर माह रक्त और फिल्टर की व्यवस्था करना आर्थिक रूप से बहुत कठिन था, लेकिन अब अस्पताल की इस पहल ने उन्हें नया जीवन दिया है।
मरीजों की जुबानी राहत की कहानी
ग्राम लच्छनपुर निवासी कृषक घनश्याम साहू ने बताया कि उनकी दो बेटियाँ – 11 वर्षीय तामेश्वरी और 8 वर्षीय दीक्षा – सिकल सेल बीमारी से पीड़ित हैं। वे अक्सर थकान, कमजोरी और खून की कमी से परेशान रहती थीं। लेकिन अब जिला अस्पताल में मिलने वाली नि:शुल्क रक्त सुविधा से उन्हें बड़ी राहत मिली है। डॉक्टरों की देख-रेख में बच्चियों को समय-समय पर रक्त चढ़ाया जाता है जिससे उनकी सेहत में सुधार हो रहा है।
इसी तरह बलौदाबाजार निवासी 3 वर्षीय अंश, जो थैलेसीमिया से ग्रसित है, को भी अस्पताल से नियमित रूप से रक्त मिल रहा है। अंश के पिता ने बताया कि पहले हर महीने निजी ब्लड बैंक से खून लाना बहुत महंगा पड़ता था, लेकिन अब सरकारी अस्पताल से नि:शुल्क सुविधा मिल रही है और उपचार भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में हो रहा है।
रोगों की गंभीरता को समझना जरूरी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि सिकल सेल एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं अर्द्धचंद्राकार (सिकल शेप) हो जाती हैं, जिससे वे जल्दी टूट जाती हैं और शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन ठीक से नहीं हो पाता। इसके कारण मरीजों को थकान, कमजोरी, एनीमिया, असहनीय दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
वहीं, थैलेसीमिया एक अन्य आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कण (RBC) नहीं बना पाता या जो बनते हैं वे अल्पकालिक होते हैं। यह स्थिति गंभीर रक्त की कमी (क्रॉनिक एनीमिया) उत्पन्न करती है, जिसके चलते नियमित रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास बढ़ा
बलौदाबाजार जिला अस्पताल की यह पहल न केवल स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को दर्शाती है बल्कि ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बीच सरकारी चिकित्सा व्यवस्था के प्रति विश्वास को भी मजबूत करती है। अब वे परिवार जो पहले महंगे उपचार के अभाव में अपने बच्चों की बीमारी से जूझ रहे थे, उन्हें निःशुल्क और समर्पित सेवा मिल रही है।
सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम
यह सेवा राज्य सरकार की उन नीतियों और योजनाओं का परिणाम है जो समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली और जनसामान्य तक पहुंचने वाली सेवाओं पर केंद्रित हैं। जिला अस्पताल की टीम द्वारा रोगियों को नियमित मॉनिटरिंग, परामर्श और दवाइयों के साथ-साथ सामाजिक सहयोग भी दिया जा रहा है, जिससे रोग प्रबंधन में निरंतर सुधार आ रहा है।