औरंगजेब की लानत-मलानत के बाद अब बेचारे मुहम्मद-बिन-तुगलक की बारी ।
(आलेख : संजय पराते) प्रेमचंद ने कहा था — “सांप्रदायिकता हमेशा संस्कृति की खाल ओढ़कर सामने आती है।” इसके साथ …
(आलेख : संजय पराते) प्रेमचंद ने कहा था — “सांप्रदायिकता हमेशा संस्कृति की खाल ओढ़कर सामने आती है।” इसके साथ …